सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है।
यह सुहागिनों के लिए बहुत खास माना जाता है। वहीं, इस साल हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त, दिन शनिवार को सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाएगा।
यूं तो हर प्रांत में इस पर्व से जुड़े कई रीति-रिवाज हैं जिनका तीज व्रत के दौरान पालन किया जाता है लेकिन एक परंपरा हर क्षेत्र में निभाने का विधान है।
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि ज्यादातर हर स्थान पर बायना का रिवाज निभाया जाता है जो बहु तीज पर अपनी सास को देती है।
ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या होता है बायना, क्यों बहु द्वारा इसे सास को तीज पर दिया जाता है और क्या है बायना से जुड़ा महत्व।
हरियाली तीज 2023 क्या होता है बायना
पूजा के लिए या व्रत-त्यौहार के लिए दान (हिन्दू धर्म के दान) स्वरूप जिस सामग्री को निकाला जाता है वह बायना कहलाती है।
यूं तो बायना निकालने के बाद इसे पंडित को दिया जाता है लेकिन त्यौहारों वाला बायना सास-ननद को जाता है।
हरियाली तीज 2023 कैसे निकाला जाता है बायना
बायने में फल, सोलह श्रृंगार का सामान, मिठाई, साड़ी, फेनी, घेवर आदि रखकर देने चाहिए।
सबसे पहले एक कटोरी में मोंठ, बाजरा और उसके ऊपर कुछ रुपए रख दें। फिर रोली और चावल चढ़ाएं।
दोनों हाथ जोड़कर कटोरी को साड़ी या चुन्नी के पल्ले से ढककर चार बार कटोरी के उपर हाथ फेर लें।
फिर खुद को तिलक करें और इसके बाद सास को तिलक करके उनके पैर छूकर बायना उन्हें दे दें।
हरियाली तीज के अवसर पर कई स्थानों पर बहु ही नहीं बल्कि सास भी बहु को बायना देती है।
हरियाली तीज 2023 क्यों दिया जाता है बायना
ऐसी मान्यता है कि बहु द्वारा सास (सास से अनबन दूर करने के उपाय) को या सास द्वारा बहु को बायना देने से सास-बहु का रिश्ता मजबूत होता है।
सास-बहु के संबंध सुधरते हैं दोनों के रिश्ते में मधुरता आती है। इसके अलावा, पारिवारिक शांति भी मिलती है।
अगर अप भी हरियाली तीज का व्रत रखती हैं तो यहां इस लेख के माध्यम से बायने से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त कर सकती हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।