हर साल शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. इस माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि का पर्व पूरे विश्व में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इस पावन पर्व में मां दुर्गा की प्रतिमाएं मनाई जाती हैं और उन्हें पंडालों में स्थापित किया जाता है. इस साल नवरात्रि का त्योहार 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रहा है. आइए आपको पूरे विस्तार से बताते हैं सारी बातें.
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. इस तरह से कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त की अवधि केवल 48 मिनट की है.
शारदीय नवरात्रि कब से हो रही है प्रारंभ?
15 अक्टूबर 2023 (रविवार) : घट स्थापना, शैलपुत्री मां की पूजा.
16 अक्टूबर 2023 (सोमवार) : द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा.
17 अक्टूबर 2023 (मंगलवार) : तृतीया माँ चंद्रघंटा की पूजा.
18 अक्टूबर 2023 (बुधवार) : चतुर्थी माँ कुष्मांडा की पूजा.
19 अक्टूबर 2023 (गुरुवार) : पंचमी माँ स्कंदमाता की पूजा.
20 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार) : षष्ठी माँ कात्यायनी की पूजा.
21 अक्टूबर 2023 (शनिवार) : सप्तमी माँ कालरात्रि की पूजा.
22 अक्टूबर 2023 (रविवार) : अष्टमी माँ महागौरी की पूजा. दुर्गा महा अष्टमी पूजा
23 अक्टूबर 2023 (सोमवार) : नवमी माँ सिद्धिदात्री की पूजा. दुर्गा महा नवमी पूजा.
24 अक्टूबर 2023 (मंगलवार) : दशमी नवरात्रि पारणा दुर्गा विसर्जन. विजय दशमी.
कब है दशहरा
इस साल नवरात्रि रविवार 15 अक्टूबर 2023, से शुरू हो रही है, 23 अक्टूबर 2023 मंगलवार को नवरात्रि समाप्त होगी वहीं, 24 अक्टूबर, विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर 2023 की रात 11:24 मिनट से शुरू होगी. ये 15 अक्टूबर की दोपहर 12:32 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी.
हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. हिंदू धर्म में साल में 4 बार नवरात्रि पड़ती है. 2 नवरात्रि प्रत्यक्ष होती हैं और 2 नवरात्रि गुप्त होती हैं. इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है. पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है.
दशहरा पर्व पर बन रहे दो शुभ योग
ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री के अनुसार इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 27 मिनट से दोपहर 03 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शाम 6 बजकर 38 मिनट से 25 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक यह योग रहेगा. वहीं, दशहरा पर वृद्धि योग दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर पूरी रात रहेगा.
नवरात्रि और दशहरा में क्या अंतर है?
नवरात्रि नौ रातों का पावन पर्व होता है और उसके बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. दुर्गा पूजा के पर्व की शुरुआत आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस पर्व का समापन दशहरा के साथ होता है. दशहरा पर रावण दहन किया जाता है. दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में जीत हासिल की थी. इस पर्व को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी मनाया जाता है. इस त्योहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है.
विजयादशमी से है मां दुर्गा का संबंध
दशहरा पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, इसलिए शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को ये उत्सव मनाया जाता है. इसके साथ ही देशभर में अलग-अलग जगह रावण दहन होता है और हर जगह की परंपराएं बिल्कुल अलग हैं. इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है. इस दिन शमी के पेड़ की पूजा भी की जाती है. इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है.
इसलिए कहा जाता है शारदीय नवरात्रि
आश्विन मास में ही शरद ऋतु की शुरुआत हो जाती है इसलिए आश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि में घर घर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है. मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद भी बना रहता है. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा शक्ति के रूप में की जाती है. पश्चिम बंगाल में इस नवरात्रि के समय दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता है.