Skanda Sashti 2025 Date:फरवरी में कब है स्कंद षष्ठी? नोट करें सही तिथि और पूजा विधि

Update: 2025-01-30 05:12 GMT
Skanda Sashti 2025 Date: हिंदू पंचां के अनुसार हर माहिने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है. यह व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. भगवान कार्तिकेय को स्कंद, मुरुगन और सुब्रमण्डय के नाम भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है|
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की षष्ठी तिथि की शुरुआत सोमवार 3 फरवरी की सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन 4 फरवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, माघ माह में स्कंद षष्ठी का व्रत 3 फरवरी को रखा जाएगा|
स्कंद षष्ठी पूजा विधि
स्कंद षष्ठी व्रत का व्रत करने से लिए सुबह स्नान कर साफ कपड़े धारण करें. पूजा स्थल को साफ-सफाई कर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और चंदन, रोली से तिलक लगाएं. फूल, फल और नैवेद्य अर्पित करें. दीप जलाकर भगवान कार्तिकेय का ध्यान करें. पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें. देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥ फिर पांच तरह के अनाज को तांबे के लोटे में भरकर भगवान कार्तिकेय को अर्पित करें. शाम को फिर से पूजा करें और भगवान कार्तिकेय से अपनी मनोकामनाएं मांगें|
स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है. भगवान कार्तिकेय को संतान प्राप्ति और पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि का देवता भी माना जाता है. भगवान कार्तिकेय को युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है, इसलिए यह व्रत शत्रुओं से रक्षा और उनके ऊपर विजय प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है. जो लोग विवाह या संतान सुख की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है|
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