Vastu Tips: मनुष्य के पतन के तीन कारण बताए हैं, काम, क्रोध और लोभ। ये ऐसे विकार हैं जो मनुष्य को प्रतिकूल स्थिति की ओर ले जाते हैं। जो व्यक्ति जीवन में किसी चीज या स्थिति से असन्तुष्ट हैं, वे अधिक क्रोध करते हैं। क्रोध में सबसे पहले व्यक्ति की जबान अपना आपा खोती है और वह सब कहती है, जो नहीं कहना चाहिए। गुस्सा एक बवंडर के समान है, जो जाने के बाद बर्बादी के निशान छोड़ जाता है। ज्योतिष और वास्तुशास्त्र का पालन कर क्रोधी व्यक्ति के स्वभाव में काफी हद तक परिवर्तन कर उसके और उसके परीवारीजनों के जीवन में शांति का संचरण किया जा सकता है।
Vaastu Shaastra के अनुसार दक्षिण-पूर्व की दिशा जिसे अग्निकोण कहते हैं, में बैठने या सोने से क्रोध बढ़ता है, इसलिए अगर किसी व्यक्ति का गुस्सा दिनों- दिन बढ़ता जा रहा हो, तो पहले वास्तुशास्त्र की मदद लेकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कहीं उसका शयनकक्ष अथवा व्यक्ति के बैठने की जगह अग्निकोण में तो नहीं है। कार्यालयों में भी जो कर्मचारी अग्निकोण में बैठते हैं, उनका स्वभाव आक्रमक होने लगता है।
क्रोध को नियंत्रित करने के सरल प्रभावशाली उपाय -
सोते समय सिर हमेशा पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ओर करें, सिरहाने की तरफ क्रिस्टल बॉल अथवा एक प्लेट में फिटकरी का टुकड़ा रखें।
अगर जन्मकुण्डली में चन्द्रमा का सम्बन्ध शुभ भाव से हो अथवा चन्द्रमा लग्नेश जैसी शुभ भूमिका में हों, तो ही मोती धारण करें। मोती को विशेष प्रभावशाली बनाने के लिए सोमवार के दिन शुभ मुहूर्त देखकर मोती के नीचे चांदी का अर्द्धचन्द्रमा जड़वाकर क्रोधी व्यक्ति के गले में धारण कराऐं।
घर अथवा कार्यालय के अग्निकोण में नहीं बैठना चाहिए।
जब क्रोध आए, तो गुरू मंत्र का जप अथवा अपने पूज्य माता एवं पिता का स्मरण करना चाहिए।
प्रतिदिन सूर्य नमस्कार एवं प्राणायाम करें जिससे तन-मन दोनों की शक्ति का विकास हो सके। क्रोध जैसी व्याधियों पर विजय पाने के लिए एवं स्वस्थ निरोगी जीवन जीने के लिए प्राणायाम और सूर्य नमस्कार अचूक अस्त्र है।
क्रोध शांत करने हेतु जन्मकुण्डली में जो ग्रह सर्वाधिक बलवान, योगकारक अथवा षोडषवर्गीय Sun sign के हर वर्ग में जिस ग्रह को विशेष बल प्राप्त हो, उस ग्रह से सम्बन्धित देवी-देवता की आराधना जीवन में विशेष उन्नतिदायक एवं क्रोध शमन हेतु कारगर मानी गई है।