Vastu Tips: हिंदू धर्म में एकादशी का खास महत्व है। ये दिन जगत के पालनहार श्रीहरि को समपर्ति माना जाता है। Devshayani Ekadashi, हरिशयनी या पद्मनाभ एकादशी के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रीहरि चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। वे पाताल लोग में विश्राम करते हैं। इसे सनातन परंपरा में खरमास या चतुर्मास भी कहा जाता है। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। वहीं देवशयनी एकादशी के शुभ दिन पर भगवान विष्णु का व्रत रखने और पूजा करने का विशेष महत्व है। इस बार भक्तों में एकादशी की तिथि को लेकर खासा उलझन भी देखने को मिल रही है। चलिए इसी के साथ जानते हैं इस साल 16 या 17 जुलाई कब रखा जाएगा श्रीहरि के लिए एकादशी का व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि- देवशयनी
ये है देवशयनी एकादशी की तिथि
इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 16 जुलाई रात 8 बजकर 32 मिनट पर हो जाएगी और इस तिथि का अंत अगले दिन 17 जुलाई रात 9 बजकर 1 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के चलते 17 जुलाई, बुधवार के दिन एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त 17 जुलाई की सुबह 5 बजकर 34 मिनट पर शुरू हो रहा है और 11 बजे तक रहेगा। इस बीच Lord Vishnu के साथ ही माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इस एकादशी पर अनुराधा नक्षत्र समेत सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है।
ऐसे करें देवशयनी एकादशी की पूजा
ऐसे करें पूजा
. देवशयनी एकादशी के दिन सुबह उठकर नहाएं व साफ कपड़े पहनें।
. अब भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए पीले रंग का आसन बिछाकर श्रीहरि की प्रतिमा रखें।
. भगवान विष्णु के धूप, दीप, चावल, पीले फूल आदि चढ़ाकर विधि-पूर्वक पूजा करें।
. फिर हाथ में जल और अक्षत यानि चावल लेकर व्रत करने का संकल्प लें।
. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व स्तुति करें।
इस मंत्र का जप करें
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।'