Vastu Dosh: पिता-पुत्र में बार बार मतभेद तो इस दिशा में है वास्तुदोष

Update: 2024-07-18 17:41 GMT
Vastu Dosh: आनन्द की उमंग जब अपने ही घर में अठखेलियां करने से जी चुराये तो इसका मलतब कहीं न कहीं आपके घर में वास्तुदोष है। ऐसे में आपको घर के बाहर रहने पर शान्ति तथा घर में घुसते ही अशान्ति महसूस होगी यह वास्तु दोष का प्रथम लक्षण है। घर के वास्तु का प्रभाव बच्चों, महिलाओं सहित प्रत्येक सदस्य पर पड़ता है, मतलब हर कोने के वास्तु का शुभ या अशुभ प्रभाव घर के किसी ना किसी सदस्य पर पड़ता है। अगर घर में निवास करने वाले व्यक्तियों के ग्रह कमजोर हों तो
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 के कारण घर में रोग, कलह व अशांति का वातावरण बराबर बना रहता है। वास्तु प्रत्येक घर की सुख-समृद्धि को प्रभावित करता है। अगर घर का वास्तु सही हो तो व्यक्ति का जीवन सुख से भरा हुआ होता है। आइए जानते है घर का कौन सा कोना घर के किस सदस्य को प्रभावित करता है।
-पूर्व दिशा का स्वामी सूर्य है इसलिए इस दिशा में वास्तु दोष होन पर पिता-पुत्र की आपस में नहीं बनती। पुत्र-पिता की आज्ञा का पालन नहीं करता। संतान की उन्नति में भी रुकावट आती है, संतान का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
-शनि पश्चिम दिशा का स्वामी है। इस दिशा में दोष होन पर घर में चोरी होने की सम्भावना बढ़ जाती है, इस दिशा में कोई भी मशीन रखने पर उसमें कोई न कोई खराबी आती रहती है। घर के नौकर कभी ठीक से काम नहीं करते हैं।
-उत्तर दिशा का स्वामी बुध होता है, इस दिशा में वास्तुदोष होने पर बुद्धि भ्रमित हो जाती है तथा घर के सदस्यों में अधिक झगड़े होते हैं, आमदनी से अधिक खर्च होता है।
-दक्षिण दिशा का स्वामी मंगल है, दक्षिण दिशा में दोष होता है तो कानूनी विवादों से हमेशा परेशान रहते हैं, सुख में कमी आती है, बिजनेस यदि पार्टनरशिप में है तो पार्टनर से मन-मुटाव होने लगता है।
-ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व कोने का स्वामी गुरू होता है। इस कोने में दोष होने पर घर में पैसों से जुड़ी समस्या बनी रहती है। पूजा में मन नहीं लगता। घर के बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है।
-आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व के वास्तुदोष का प्रभाव घर की स्त्रियों, विशेषकर सास-बहू पर पड़ता है। आग्नेय का वास्तुदोष कराता है सास-बहू में तकरार।
-नैऋत्य यानि दक्षिण-पश्चिम दिशा का स्वामी राहु है। इस कोने में दोष होने पर पति-पत्नी में झगड़े ज्यादा होते हैं। घर के सदस्यों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। बच्चों की आदते खराब होने लगती है। घर में बरकत नहीं रहती है।
-वायव्य यानि उत्तर-पश्चिम कोण में Vastu Dosh होने पर चन्द्रमा कमजोर माना जाता है क्योंकि चन्द्र इस दिशा का स्वामी होता है। इस कोने में वास्तुदोष होने पर किसी न किसी कारण से मन हमेशा खिन्न रहता है, संतान के विवाह में देरी होती है। इस कोण में दोष के कारण पड़ोसियों से झगड़ा होता है।
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