Samudrika Shastra: सामुद्रिक शास्त्रियों ने नाक की बनावट को फलकथन हेतु नासिका छिद्र, नाक का अग्रभाग आदि कई भागों में विभाजित किया है। इन विभाजनों को एक साथ देखकर व्यक्ति विशेष की नासिका द्वारा उसके स्वभाव गुण-दोषों को बखूबी जाना जा सकता है। जिस विद्या द्वारा न केवल हथेली पर रेखाओं के लक्षण बल्कि समस्त शरीर के चिन्हों का विवेचन कर मानव का स्वभाव, सुख-दुःख को जाना जाता है, उसे सामुद्रिक शास्त्र कहते हैं। सामुद्रिक विद्या अपने उद्भव से लेकर आज तक रूप में प्रचलित है क्योंकि इस बहुआयामी विद्या के द्वारा व्यक्ति के गुण, स्वभाव, शिक्षा, आर्थिक स्तर, आयु, परिवार और जीवन की भावी घटनाओं के संबंध में निश्चित कथन कर eternal
सकते हैं। सामुद्रिक विद्या द्वारा शरीर के अंगों को देखकर किसी भी व्यक्ति के चरित्र और स्वभाव का ठीक-ठीक आकलन किया जा सकता है।
किसी की भी नाक देखकर जानिए उसका स्वभाव और भविष्य - किसी भी व्यक्ति से मिलते समय हम सबसे पहले उसका चेहरा देखते हैं। चेहरा देखते समय यदि उस व्यक्ति की नाक को ध्यान से देखें तो उसके स्वभाव के बारे में जाना जा सकता है।
1. सीधी, सरल, सुन्दर नासिका जिसका आकार उपर से नीचे तक सुडौल हो, भाग्यवान व्यक्ति का बोध कराती
है।
2. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार ऊंची एवं बड़ी नाक वाला व्यक्ति धनी और सभी सुखों को भोगने वाला होता है।
3. सुंदर और तीखी नाक (तोते जैसी) वाला व्यक्ति तेज दिमाग वाला, शरीफ एवं किसी उच्च पद को प्राप्त करने वाला होता है।
4. जिस व्यक्ति की नाक छोटी एवं बहुत कम उभरी हुई हो वह नेक दिल और शरीफ होता है।
5. बहुत नुकीली नाक प्रायः अच्छी नहीं मानी जाती है।
6. उपर अधिक पतली तथा नीचे ज्यादा चौड़ी नाक वाला व्यक्ति दम्भी, चिड़चिड़ा, दुर्गुणी तथा अहंकारी होता है।
7. छोटी एवं मोटी नाक वाले व्यक्ति को जीवन में संघर्ष अधिक करना पड़ता है, जब ग्रहदशा विपरीत हो तो वह अपनों की कही बातों को भी नजरअंदाज करता है, मित्र शत्रु दिखते हैं।
8. नाक का अधो संधि क्षेत्र वस्तुतः नासाछिद्र के मध्य की पट्टी होती है तो छिद्रों को दो भागों में बांटती है। नासाग्र मांसल, सामान्य नुकीला होने पर नासिका का अधो संधि क्षेत्र भी सुडौल होता है। यह बहुत मोटा नहीं होना चाहिए, वरन पतला, सम और उन्नत हो तो वह नासिका के सौंदर्य की वृद्धि में सहायक होता है। अधो संधि उन्नत तथा अवनत दो प्रकार का माना गया है। उत्तम सौभाग्य तथा सच्चरित्रता का द्योतक होता है।
9. जिस व्यक्ति की नाक के छिद्र बड़े होते हैं वह लोगों की परवाह कम करता है और स्पष्ट बोलने के कारण आम बोलचाल की भाषा में घमण्डी कहलाता है।
10. अगर नाक का छिद्र लम्बा नोकदार दाहिनी तरफ हो तो वह अपने व्यक्तित्व से उन्नति करने वाला और अपनी बात का ख्याल रखने वाला तथा household सुखों की कमी पाने वाला, दूरदर्शी स्वतंत्र विचार वाला होता है।
11. जिस जातक का वाम नासिका का छिद्र लम्बा नोकदार हो तो वह गृहस्थ में सफलता पाने वाला होता है।
12. उत्तम, सुडौल, गोलाकार, सुस्पष्ट नथुनों वाला व्यक्ति सौभाग्यशाली, कर्मठ एवं विवेकशील होता है।
13. दोनों नथुनों के मध्य का अगला भाग नासाग्र, नासाबिंदु, नाक का अगला हिस्सा कहा जाता है। यदि यह स्थान नुकीला, सुडौल तथा अंडाकार छिद्र से युक्त हो, तो व्यक्ति अत्यंत सुखी जीवन-यापन करता है।
14. जिस व्यक्ति की नाक के छिद्र छोटे हों वह व्यक्ति समझदार और शर्मीले स्वभाव का होता है। ऐसा व्यक्ति विद्या पाने वाला होता है। केवल किसी की नाक की बनावट देखकर तुरन्त ही फलकथन नहीं करना चाहिए क्योंकि सम्पूर्ण फलकथन हेतु कई अन्य मानक एवं कारक हैं जिनके अध्ययन के पश्चात् ही पूर्ण भविष्यवाणी घटित होती है।