आज संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे कर्रे भगवान गणेश का पूजा

सनातन परंपरा में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य के पहले तथा किसी भी पूजन में सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है।

Update: 2021-08-25 03:14 GMT

सनातन परंपरा में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य के पहले तथा किसी भी पूजन में सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। भाद्रपद मास विशेष रूप से गणेश पूजन के लिए समर्पित माह है। पंचांग के अनुसार इस माह की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 25 अगस्त,दिन बुधवार को पड़ रहा है। चतुर्थी तिथि गजानन के प्रिय बुधवार के दिन होने के कारण और भी अधिक फलदायी है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन करने से आपके जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं तथा शुभ - लाभ की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश के पूजन की विधि....

संकष्टी चतुर्थी का विधान
गणेश जी का जन्म चतुर्थी तिथि के दिन हुआ था इसलिए चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को विशेष रूप से प्रिय है। हिंदी माह के दोनों पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश पूजन का विधान है। कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकट हरने वाली संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें। गणेश पूजन दोपहर या शाम को करना अधिक शुभ माना जाता है। गणेश पूजन उत्तर दिशा में मुंह करके करना चाहिए।
गणेश पूजन की विधि
संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश का पूजन करने के लिए सबसे पहले लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाएं और धूप,दीप,गंध और फल-फूल चढ़ाएं। भगवान गणेश को दूर्वा जरूर चढ़ाना चहिए, लेकिन दूर्वा से कभी जल छिड़क कर न चढ़ाएं। गणेश जी को उनके प्रिय मोदक या लड्डू का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद गणेश जी के मंत्रों और स्त्रोतों से भगवान गणेश की स्तुति करें। पूजन का अंत गणेश जी की आरती करके करना चाहिए।





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