आज गुरू पूर्णिमा पर बन रहा है विशेष संयोग, आप ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न

हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार आदिगुरू महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था।

Update: 2021-07-24 05:03 GMT

हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार आदिगुरू महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इस दिन महर्षि वेद व्यास के रूप में भगवान विष्णु की पूजा करने और अपने गुरूजनों से आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष विधान है। इस वर्ष गुरू पूर्णिमा 24 जुलाई दिन शनिवार को पड़ने के कारण विशेष संयोग का निर्माण कर रही है। शास्त्रों के अनुसार गुरू पूर्णिमा और शनिवार के विशेष संयोग पर शनिदेव का पूजन करने से शनिदेव की कुदृष्टि के प्रभाव से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं गुरू पूर्णिमा के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के विशेष उपाय....

गुरु पूर्णिमा पर अपनाएं शनि देव के ये उपाय

ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार इस साल गुरू पूर्णिमा और शनिवार का विशेष संयोग, शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के प्रभाव को कम करने का उपयुक्त अवसर है। ऐसे में शनिवार की गुरूपूर्णिमा पर कुछ ऐसे शास्त्रोक्त उपाय अपनाने चाहिए जो शनिदेव के दुष्प्रभाव को कम करते हैं...

शनिवार की गुरूपूर्णिमा के दिन शनि मंदिर या हनुमान जी की मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दिया जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी के भक्तों को शनिदेव कोई कष्ट नहीं पहुंचाते हैं।

गुरू पूर्णिमा के दिन जल में काला तिल डालकर भगवान शिव का अभिषेक करिए। गुरू पूर्णिमा पर भगवान शिव की पूजा करने से शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं क्योंकि शनिदेव स्वयं भगवान शिव के भक्त हैं।

किसी भी शनिवारा को या शनि पूर्णिमा के दिन गरीबों को सरसों का तेल या लोहे से बनी चीज या फिर काली दाल, काले वस्‍त्र दान करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।

शनिवार की गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करते हुए "ऊं शं शनैश्चराय नम:" मंत्र का जाप करिए। ऐसा करने से शनिदेव के प्रकोप का असर कम होने लगाता है।



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