सनातन धर्म में श्रेष्ठ है इन पाँच देवों की पूजा, मिलती है सुख-समृद्धि

Update: 2023-07-14 06:34 GMT
ईश्वर की पूजा करना हमारी संस्कृति का अटूट अंग है। लोग अपने-अपने तरीकों से पूजा घर को सुन्दर व आकर्षक बनाने का काम करते हैं। अपने पूजा कक्ष में विभिन्न देवों की मूर्तियों को रखते हैं और सुबह-शाम उनकी पूजा करते हैं। हालांकि देवी-देवताओं की अनगिनत मूर्तियों को पूजा जाना सही नहीं माना जाता है। लेकिन यह श्रद्धा का विषय है, जिसके लिए कुछ नहीं कहा जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार ‘पंचायतन’ की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहा जाता है कि पूजा घर में सिर्फ पाँच मूर्तियों को रखा जाना चाहिए और उन्हीं की पूजा की जानी चाहिए। जिन पाँच देवों की पूजा के बारे मेें बताया गया है, वे हैं—गणेश, शिव, विष्णु, देवी दुर्गा व सूर्य। शास्त्रों के अनुसार इन पाँच देवों की मूर्तियों को अपने ईष्ट देव के अनुसार सिंहासन में स्थापित करने का भी एक निश्चित क्रम है। ज्योतिषियों और पुजारियों के अनुसार इन मूर्तियों को सिंहासन पर इस क्रम में रखना चाहिए—
*विष्णु पंचायतन—यदि आपके ईष्ट विष्णु हैं तो आप अपने पूजागृह में विष्णु पंचायतन की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में शिव, आग्नेय कोण में गणेश, मध्य में विष्णु, नैर्ऋत्य कोण में सूर्य एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।
*देवी दुर्गा पंचायतन—यदि आपकी ईष्ट देवी दुर्गा हैं तो आप अपने पूजागृह में देवी पंचायतन की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, मध्य में दुर्गा, नैर्ऋत्य कोण में गणेश एवं वायव्य कोण में सूर्य विग्रह को स्थापित करें।
* गणेश पंचायतन—यदि गणेश को आप अपना ईष्ट मानते हैं तो अपने पूजागृह में गणेश पंचायतन की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, मध्य में गणेश, नैर्ऋत्य कोण में सूर्य एवं वायव्य कोण में देवी दुर्गा की मूर्ति को स्थापित करें।
*शिव पंचायतन—यदि आपके ईष्ट शिव हैं तो आप अपने पूजागृह में शिव पंचायतन की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में सूर्य, मध्य में शिव, नैर्ऋत्य कोण में गणेश एवं वायव्य कोण में देवी दुर्गा की स्थापना करें।
*सूर्य पंचायतन—यदि आपके ईष्ट सूर्यदेव हैं तो आप अपने पूजागृह में सूर्य पंचायतन की स्थापना करें। इसके लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में शिव, आग्नेय कोण में गणेश, मध्य में सूर्य, नैर्ऋत्य कोण में विष्णु एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।
आलेख में पूजा की जो विधि बताई गई है वह पंडितों और ज्योतिषियों के मतानुसार है। हमने अपने आलेख में संकेतात्मक रूप से पूजा विधि का जिक्र किया है। आप अपने पंडितों एवं ज्योतिषियों के बताए अनुसार अपने पूजा कक्ष को स्थापित करें।
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