अकाल मृत्यु पर चतुर्थी तिथि को होगा श्राद्ध, नोट कर लें श्राद्ध की सभी तिथियां

संगम की रेती सर्वस्व प्रदान करती है, जीवित को शांति और नश्वर शरीर को मोक्ष भी देती है। जीवन की मुक्ति तो गंगा के दर्शन मात्र से संभव है लेकिन पितरों की तृप्ति के निमित्त तर्पण और पिंडदान का विधान है।

Update: 2022-09-08 05:01 GMT

संगम की रेती सर्वस्व प्रदान करती है, जीवित को शांति और नश्वर शरीर को मोक्ष भी देती है। जीवन की मुक्ति तो गंगा के दर्शन मात्र से संभव है लेकिन पितरों की तृप्ति के निमित्त तर्पण और पिंडदान का विधान है।

इसलिए शास्त्रत्तें में तीर्थराज प्रयाग को पितृमुक्ति का पहला, काशी को दूसरा और गया को तीसरा द्वार माना जाता है। पितरों के पिंडदान और तर्पण के लिए पितृपक्ष में संगमतट पर श्राद्ध के लिए देश-विदेश से लोग जुटेंगे।

10 सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष पर संगम तट पर भीड़ उमड़ेगी। इसी दिन पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। पिंडदान करने के लिए आने वाले लोगों में अधिकांश संख्या उनकी रहेगी जिनके परिजनों की मृत्यु कोरोना काल में हुई थी क्योंकि पिछले साल अप्रैल, मई और जून में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी। तीर्थ पुरोहितों ने इसके मद्देनजर तैयारी शुरू कर दी है।

पितृ पक्ष 2022 श्राद्ध की तिथियां-

10 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध (शुक्ल पूर्णिमा), प्रतिपदा श्राद्ध (कृष्ण प्रतिपदा)

11 सितंबर- आश्निव, कृष्ण द्वितीया

12 सितंबर- आश्विन, कृष्ण तृतीया

13 सितंबर- आश्विन, कृष्ण चतुर्थी

14 सितंबर- आश्विन,कृष्ण पंचमी

15 सितंबर- आश्विन,कृष्ण पष्ठी

16 सितंबर- आश्विन,कृष्ण सप्तमी

18 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अष्टमी

19 सितंबर- आश्विन,कृष्ण नवमी

20 सितंबर- आश्विन,कृष्ण दशमी

21 सितंबर- आश्विन,कृष्ण एकादशी

22 सितंबर- आश्विन,कृष्ण द्वादशी

23 सितंबर- आश्विन,कृष्ण त्रयोदशी

24 सितंबर- आश्विन,कृष्ण चतुर्दशी

25 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अमावस्या


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