धर्म अध्यात्म: भारत को देवी- देवताओं की भूमि कहा जाता है कि यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में देवताओं के मंदिर और उनसे जुड़ी आस्था का प्रमाण देखने को मिल जाता है. उत्तर भारत की बात करे तो खासकर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों की तो यहां अनेकों शिव मंदिर हैं. जिसको देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के पूर्वज भगवान शिव के उपासक थे. जिन्होंने अनेक शिव मंदिर यहां बनाए. पिथौरागढ़ जिले की बात करें तो यहां भी शिव मंदिरों की काफी संख्या है और सभी का अपना महत्व और एक अटूट आस्था है. ऐसा ही एक शिव मंदिर है चटकेश्वर महादेव मंदिर जो पिथौरागढ़ के दौला गांव में है. जो 6 पट्टी सोर यानी पिथौरागढ़ के प्रमुख शिव मंदिरों में से है.
यक्षवती नदी के किनारे बना ये शिव मंदिर यहां लोगों की अटूट आस्था का प्रमाण है. जिसे ग्रामीणों ने आपसी सहयोग और सरकार की मदद से भव्य रूप दिया है. मंदिर में पूजा देवलाल गांव के लोग करते हैं. यहां के पुजारी गोवर्धन देवलाल ने मंदिर के पीछे की कहानी के बारे में जानकारी दी. चटकेश्वर बाबा मंदिर का पुराना नाम चंडकेश्वर महादेव हुआ करता था है. शुरुआत में मंदिर नदी के पार होने के कारण गांव वाले पूजा अर्चना को नहीं जा सकते थे. ग्रामीणों द्वारा देवताओं का आव्हान करने पर शिवलिंग स्वतः ही जमीन से निकलकर नदी के इस पार आ गया. जिसके बाद से ही वक्त के साथ इस मंदिर का विकास होता गया और आज यह पिथौरागढ़ के भव्य शिव मंदिरों में से है.
चटकेश्वर महादेव मंदिर में साल भर भक्तों का आना जाना लगे रहता है. यहां शिवरात्रि, चैत्र नवरात्रि को विशेष आयोजन भी देखने को मिलते हैं. पिथौरागढ़ में होने वाले चेतौल पर्व का भी यह एक विशेष स्थान है. यहां हर शाम आरती में शामिल होने ग्रामीण पहुंचते हैं. इस स्थान पर विशेष धर्मिक आयोजनों का काफी महत्व है यहां शादी और अन्य संस्कार करना पवित्र माना जाता है. भक्तों के रहने के लिए उचित व्यवस्था भी चटकेश्वर मंदिर में है. इस बात की जानकारी यहां के स्थानीय निवासी गणेश देवलाल ने दी है.
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