Shani Pradosh Vrat 2024: द्रिक पंचांग के अनुसार, साल 2024 का आखिरी प्रदोष 28 दिसंबर को शनिवार के दिन रखा जाएगा। इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। कहा जाता है कि शनि प्रदोष व्रत रखने से सुख-सौभाग्य और खोए हुए राज्य और पद की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होता है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष का महत्व|
शनि प्रदोष व्रत का क्या महत्व है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवजी के साथ कर्मफलदाता की पूजा-आराधना के लिए उत्तम दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन सच्ची श्रद्धा से शनिदेव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रकोपों से छुटकारा मिलता है और जीवन पर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा का प्रभाव कम होता है। शनि प्रदोष के दिन सुबह स्नानादि के बाद भगवान भोलेनाथ की पूजा करें। इसके बाद शनिदेव की पूजा-अर्चना करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से समस्त दुख-कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा इस दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि चालीसा, शनिदेव के बीज मंत्र और शिवचालीसा का पाठ कर सकते हैं। शनिदेव
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल पूजा का महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए सायंकाल में सूर्यास्त के बाद प्रदोष मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग पर जल अर्पित करें। शनिदेव की प्रतिमा के समक्ष सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ और शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपना कृपा बनाए रखते हैं।