धार्मिक मान्यता के अनुसार वैसे तो फाल्गुन का पूरा महीना श्री राधा-कृष्ण की आराधना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है लेकिन फुलेरा दूज के पर्व पर राधा-कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। पंचाग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण राधा और उनकी गोपियों संग फूलों की होली खेलते हैं। फुलेरा दूज के दिन को विवाह और शुभ कार्यो के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है। ब्रजभूमि के कृष्ण मंदिरों फुलेरा दूज का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
फुलेरा दूज का महत्व
मान्यता है कि इस दिन रंग बिरंगे एवं सुगंधित पुष्पों से श्रीकृष्ण और उनकी प्रिया राधा रानी की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है। सुयोग्य जीवनसाथी की कामना के साथ इस दिन कुंवारी लड़किया श्री कृष्ण संग राधा की पूजा करके उनके निमित्त व्रत भी रखती है। राधारानी और श्रीकृष्ण सच्चे प्रेम के प्रतीक हैं। फुलेरा दूज पर उनकी पूजा से दांपत्य जीवन में मजबूती आती है, प्रेम और सौहार्द भाव बढ़ता है। इस पवित्र दिन पर राधा रानी को श्रृंगार की वस्तुएं जरूर अर्पित करें और उनमें से श्रृंगार की कोई एक वस्तु अपने पास संभाल कर रख लें। मान्यता है कि ऐसा करने से जल्द विवाह हो जाता है।
फुलेरा दूज की पूजाविधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करें और श्री राधा-कृष्ण का गंगाजल, दही, जल, दूध और शहद से अभिषेक करें। यदि मूर्ति नहीं है तो राधा-कृष्ण की तस्वीर को गंगाजल से छींटे लगाकर पूजा करें। फिर श्री राधा-कृष्ण को नए वस्त्र (लाल,गुलाबी,पीले केसरिया,हरे ) पहनाकर श्रृंगार करें और उन्हें चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विराजमान करें। इसके बाद उन पर सुन्दर और ताज़े पुष्प चढ़ा कर नैवेद्य, धूप, फल, अक्षत समेत विशेष चीजें अर्पित करें।फिर श्री राधा-कृष्ण को माखन मिश्री, खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं और भोग में तुलसी दल को अवश्य शामिल करें।राधा रानी की कृपा पाने के लिए उन्हें श्रृंगार की वस्तुएं जरूर अर्पित करें। फुलेरा दूज पर श्री राधा-कृष्ण की पूजा के लिए घी का दीपक जलाकर उनकी आरती और मंत्रों का जाप करें।
पौराणिक कथा
शास्त्रों में राधा रानी को प्रकृति और प्रेम की देवी माना गया है। कथा है कि एक बार श्रीकृष्ण बहुत दिनों तक राधारानी से मिलने नहीं जा सके। राधा रानी के साथ ही गोपियां भी इस बात से काफी दुखी हो गईं और उनके मायूस होने का असर प्रकृति पर दिखने लगा। पेड़-पौधे, लताएं, पुष्प और वन सूखने लगे। प्रकृति का नजारा देखकर श्रीकृष्ण को राधा की हालत का अंदाजा लग गया। इसके बाद वे बरसाना पहुंचकर राधारानी से मिले। इससे राधारानी प्रसन्न हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। कहते हैं श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा और राधारानी पर फेंक दिया। इसके बाद राधा ने भी कृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया। फिर गोपियों ने भी एक दूसरे पर फूल फेंकने शुरू कर दिए। हर तरफ फूलों की होली शुरू हो गई। वो दिन था फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि। तब से इस दिन को फुलेरा दूज के नाम से जाना जाने लगा और इस दिन राधा-कृष्ण के साथ फूलों की होली खेली जाती है।