इन चार राशियों वाले लोगों को मैनिपुलेट करने में होते हैं माहिर

किसी स्थिति को मैनेज करने के​ लिए या किसी को दुखी होने से बचाने के लिए कभी कभार झूठ बोलना अलग बात है

Update: 2021-06-28 08:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | किसी स्थिति को मैनेज करने के​ लिए या किसी को दुखी होने से बचाने के लिए कभी कभार झूठ बोलना अलग बात है, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं बात बात पर झूठ बोलते हैं. इन्हें इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनके झूठ का​ किसी पर क्या असर होगा. इन्हें बस अपनी बात को सही साबित करने की जिद रहती है और बात को साबित करने के लिए ये हर किसी को मैनिपुलेट करते हैं. ज्योतिष के मुताबिक ऐसी 4 राशियां हैं जो इस मामले में बहुत तेज होती हैं.

मिथुन राशि : इस राशि के लोग दोहरे व्यक्तित्व के माने जाते हैं. बातों को घुमाने में ये माहिर होते हैं. एक बार अगर इन्होंने कुछ कह दिया तो उसे सही साबित करने के लिए सामने वाले को अपनी बातों में इस तरह से उलझाते हैं कि उसे इनका कहा झूठ भी सही लगने लगता है. इनकी कम्युनिकेशन स्किल्स बहुत अच्छी होती है और पर्सनैलिटी काफी आकर्षक होती है, इसलिए लोग आसानी से इनके झूठ में फंस जाते हैं.
सिंह राशि : सिंह राशि वालों को सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बनना बहुत पसंद होता है, इसलिए ये अपना इंप्रेशन जमाने के लिए तरह तरह की बातें बनाकर लोगों को मैनिपुलेट करते हैं. इस कारण कई बार झूठ भी बोलते हैं. जब भी इन्हें किसी दूसरे से ये खतरा महसूस होता है कि इनकी जगह को सामने वाला छीन सकता है तो ये पहले से ही स्थिति से निपटने की योजना बना लेते हैं और लोगों को अपनी बातों में उलझा लेते हैं.
तुला राशि : इस राशि के लोग अपनी वजह से किसी को दुखी नहीं देख सकते. इसलिए जब कभी इन्हें लगता है कि इनसे कुछ ऐसा हो गया है जो किसी को परेशान कर सकता है, तो ये लोग सच की बजाय झूठ का सहारा लेकर स्थिति को संभालने का प्रयास करते हैं और लोगों को मैनिपुलेट करने की कोशिश करते हैं.
कर्क राशि : इस राशि के लोगों को झूठ बोलने के मामले में धुरंधर कहा जाए तो गलत नहीं होगा. ये लोग सामान्यत: झूठ नहीं बोलते, लेकिन जब ​बोलते हैं तो इतनी सफाई से बोलते हैं कि कोई भी इनके झूठ को पकड़ नहीं सकता. इन्हें समझ पाना आसान बात नहीं होती. जो लोग इन्हें जानने का दावा करते हैं, वास्तव में वो लोग भी इन्हें ठीक से नहीं जानते.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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