पापमोचनी एकादशी, जानें एकादशी से जुड़ी 10 खास बातें

एकादशी व्रत को शास्त्रों में काफी श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है

Update: 2021-04-06 07:27 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | एकादशी व्रत को शास्त्रों में काफी श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है. ये व्रत महीने में दो बार आता है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. सभी एकादशी का अलग नाम और महत्व होता है. चैत्र के महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार पापमोचनी एकादशी 7 अप्रैल को पड़ रही है. यहां जानिए पापमोचनी एकादशी से जुड़ी 10 खास बातें.

1. वैसे तो सभी एकादशी विष्णु भगवान को समर्पित हैं. लेकिन पापमोचनी एकादशी के दिन श्रीहरि के चतुर्भज रूप की पूजा करने का विधान है.
2. इस एकादशी को दुख और पाप हरने वाली एकादशी माना जाता है. इस दिन तन मन की शुद्धता के साथ गीता का पाठ और दान पुण्य करना काफी अच्छा माना जाता है. इससे नारायण के साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा होती है.
3. किसी भी एकादशी व्रत के नियम दशमी में सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं. व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर पीले वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए.
4. पापमोचनी एकादशी व्रत को लेकर मान्यता है कि इसे रखने से हजार गायों के दान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है.
5. पद्म पुराण के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत बेहद फलदायी है. इस व्रत को रखने वालों पर भगवान विष्णु की असीम कृपा होती है. पूजा के दौरान भगवान को तुलसी समर्पित जरूर करें.
6. एकादशी व्रत वाले दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है. इस रात जागकर भगवान का भजन और कीर्तन करना चाहिए.
7. इस व्रत को निराहार या निर्जल भी रखा जा सकता है. लेकिन अगर आपमें क्षमता नहीं है तो आप फलाहार ले सकते हैं. अगर आपका शरीर व्रत रखने लायक नहीं है तो इस दिन सात्विक भोजन करके नारायण के चतुर्भुज रूप की विधिविधान से पूजा करें. इससे भी व्रत का पुण्य प्राप्त होता है.
8. वैसे तो लोग एकादशी का व्रत आजीवन रखते हैं, लेकिन अगर आप ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं हैं तो एकादशी का उद्यापन करते समय हवन जरूर कराएं. इस हवन में जौ, हवन सामग्री के साथ तिल का भी प्रयोग करें.
9. एकादशी के दिन चावल न खाना चाहिए और न ही घर में बनाना चाहिए. इसको लेकर मेधा ऋषि की पौराणिक कथा प्रचलित है.
10. एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करने के लिए इसके नियमों का पूरी तरह पालन करें. किसी की चुगली न करें और न ही अपशब्द कहें. सात्विक मन से व्रत रखें और दशमी से लेकर द्वादशी तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.


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