Pradosh Vrat पर महादेव के आशीर्वाद के लिए है उत्तम , पुण्य फलों की प्राप्ति

Update: 2024-08-17 07:45 GMT
Pradosh Vrat ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार आती है इस दिन भक्त भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव की कृपा बरसती है। पंचांग के अनुसार अभी सावन का महीना चल रहा है और इस माह का दूसरा व अंतिम प्रदोष व्रत आज यानी 17 अगस्त दिन शनिवार को
रखा जा रहा है
 शनिवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है ऐसे में इस दिन शनि और शिव की पूजा करना लाभकारी होगा। सावन के आखिरी शनि प्रदोष पर पूजा पाठ करने से जातक के कष्टों का समाधान होता है साथ ही शनि और शिव की कृपा प्राप्त होती है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शनि प्रदोष की पूजा विधि के बारे में विस्तार से बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
 शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि—

आपको बता दें​ कि प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर पूजा स्थल को शुद्ध करें अब शिव और माता पार्वती के समक्ष घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं। शिव को बेलपत्र, फल, अक्षत, सफेद चंदन अर्पित करें और माता पार्वती को रोली, अक्षत, फल और पुष्प चढ़ाएं। इसके बाद व्रत का संकल्प लेते हुए विधिवत पूजा करें।
 शिव चालीसा का पाठ करें। साथ ही प्रदोष व्रत की कथा सुनें और मंत्र जाप करें। अब पूजा समापन के समय आरती करें। इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और पांच तरह का मीठा भोग पीपल पर चढ़ाएं। शाम के मय पीपल के नीचे पांच तेल का दीपक जलाएं और सात बार पीपल की परिक्रमा करें। शाम के समय शिव मंदिर और शनि मंदिर जाकर पूजा करें धूप व दीपक जलाएं शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से शनि दोष समाप्त होता हैं और नौकरी में आने वाली बाधा भी दूर हो जाती है।
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