Masik Kalashtami fast: जुलाई में इस दिन रखा जाएगा मासिक कालाष्टमी का व्रत

Update: 2024-07-24 03:21 GMT
Masik Kalashtami fast: हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत की अत्यधिक मान्यता होती है. यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रखा जाता है मान्यतानुसार भगवान शिव के सबसे उग्र रूप काल भैरव Kaal Bhairav की पूजा-आराधना की जाती है. काल भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता कहा जाता है. मान्यतानुसार जो भक्त काल भैरव की पूजा करते हैं उन्हें सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है.
कालाष्टमी की पूजा Kalashtami Puja
मासिक कालाष्टमी की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान पश्चात भगवान काल भैरव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. काल भैरव की उपासना के साथ ही महादेव की पूजा की जाती है. काल भैरव की उपासना मान्यतानुसार निशिता काल में की जाती है. पूजा सामग्री में गंध, धूप, पुष्प, दीप, काले तिल, उड़द दाल और सरसों के तेल को शामिल किया जाता है. इस दिन काल भैरव के समक्ष दीया जलाया जाता है. भक्त पूजा करते हुए शिव चालीसा का पाठ करते हैं, शिव स्त्रोत पढ़ते हैं, भगवान शिव और उनके रूप काल भैरव के मंत्रों का जाप करते हैं और आरती गाते हैं.
आखिर में भोग लगाने और प्रसाद का वितरण करने के साथ ही पूजा संपन्न की जाती है. माता जाता है कि काल भैरव की मूर्ति को घर पर नहीं रखना चाहिए. ऐसे में मंदिर जाकर ही काल भैरव की पूजा (Kaal Bhairav Puja) की जाती है. व्रत पूरा हो जाने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी या कच्चा दूध पिलाया जाता है. दिन के अंत में कुत्ते की पूजा भी की जा सकती है. कालाष्टमी की पूजा में रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व होता है.
कालाष्टमी पर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि
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