ज्योतिष में नवग्रहों में से एक मंगल ग्रह को सेनापति का पद प्राप्त है जो कि साहस, शौर्य, क्रोध, युद्ध, शत्रु, अस्त्र- शस्त्र, दुर्घटना, भूमि, छोटे भाई-बहन, पुलिस, सेना, आदि का कारक होता है. जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, जीवन में तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कुंडली में मंगल दोष होने के कारण अक्सर लोगों को विवाह में विलंब, दांपत्य जीवन में समस्याएं, विवाद, कर्ज जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है. मंगल जनित समस्याओं के समाधान का प्रमुख केंद्र है मंगलधाम मंदिर जो कि मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है. महाकाल की नगरी में स्थित भूमिपुत्र मंगल देवता का मंदिर अत्यंत प्राचीन है, जहां विधि-विधान से मंगल देव की पूजा करने पर जीवन में सब मंगल ही मंगल होता है. आइए इस पावन धाम के बारे में विस्तार से जानते हैं.
जहां मंगल को माना जाता है शिव का स्वरूप
मंगलनाथ मंदिर अत्यंत ही सिद्ध और सभी मनोरथ को पूरा करने वाला है. यहां पर मंगल देवता शिवलिंग के स्वरूप में विराजमान हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित मंगल देवता के इस पावन धाम को लोग भगवान शिव का स्वरूप मानते हैं. यही कारण है कि उज्जैन में आना वाला कोई भी तीर्थ यात्री महाकाल के दर्शन करने के बाद मंगलनाथ जाना नहीं भूलता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार मंगल देवता का जन्म भी भगवान शंकर के पसीने से निकली एक बूंद के कारण इस स्थान पर हुआ था. कहते हैं जब भगवान शिव के पसीने की बूंद धरती पर गिरी तो उसकी गर्मी से धरती फट गई और मंगल देवता का जन्म हुआ. तभी से मंगल देवता को धरतीपुत्र कहा जाने लगा.
भात पूजा से प्रसन्न होते हैं मंगलदेव
जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर या फिर कहें दोष होने के कारण तमाम तरह की समस्याएं पैदा कर रहा होता है, वे देश-विदेश यहां पर मंगल की विधि-विधान से पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि मंगल देवता के लिए की जाने वाली विशेष भात पूजा से जीवन में हो रहा सारा अमंगल दूर हो जाता है. ज्योतिष के अनुसार मंगल प्रधान व्यक्तियों को क्रोध बहुत आता है या फिर कहें कि उनका मन बहुत अशांत रहता है. ऐसे में उनके मन को नियंत्रित करने और और उनकी कुंडली के मंगल दोष को दूर करने के लिए भात पूजा अत्यंत ही फलदायी है.