Maha Kumbh Mela 2025 से पहले जानिए कितने प्रकार का होता कुंभ

Update: 2024-12-15 09:26 GMT
Maha Kumbh Mela ज्योतिष न्यूज़ : दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ मेला भारत की समृद्ध विविधता और आध्यात्मिकता को प्रदर्शित करने वाला एक सांस्कृतिक उत्सव है। महाकुंभ को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक मेले में से एक माना जाता है। कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है। कुंभ में संतों, साधुओं और तीर्थयात्रियों से भरा जीवंत वातावरण वास्तव में अविस्मरणीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव बनाता है।प्रयागराज देश दुनिया से पधारने वाले 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्वागत हेतु तैयार है। गली, चौराहों पर महाकुंभ की रौनक दिखने लगी है। दीवारों में भी संस्कृति के रंग भरे जा रहे हैं। भारत की सभ्यता को चित्रों के माध्यम से उकेरा जा रहा है। 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेला शुरू हो रहा है। यह 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस बार महाकुंभ 2025 का आयोजन
प्रयागराज में हो रहा है।
कितने प्रकार के होते हैं कुंभ
कुंभ मेला चार प्रकार (कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ) का होता है। कुंभ मेला ग्रहों की स्थिति के अनुसार हर बार आयोजित किए जाते हैं। इससे पहले साल 2013 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ था। जबकि कुंभ मेला हरिद्वार में लगा था। महाकुंभ मेला (Maha Kumbh Mela) को सबसे शुभ माना जाता है। उसके बाद पूर्ण कुंभ मेला (Purna Kumbh Mela), अर्ध कुंभ मेला (Ardh Kumbh Mela) और फिर कुंभ मेला (Kumbh Mela) आता है।
महाकुंभ मेला
हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला इस त्यौहार का सबसे पवित्र आयोजन माना जाता है। 12 साल के कुंभ मेले के 12 चक्रों को चिह्नित करने वाला यह असाधारण आयोजन देश भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। माना जाता है कि इस अवधि के दौरान गंगा, सरस्वती और यमुना में पवित्र स्नान करने से आध्यात्मिक शक्तियों में वृद्धि होती है। महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा। यह धार्मिक मेला लगभग 30 से 45 दिनों तक चलता है। पिछली बार महाकुंभ प्रयागराज में 2013 में आयोजित किया गया था। अब 12 साल बाद धार्मिक नगरी एक बार फिर से महाकुंभ मेले की मेजबानी कर रहा है।
अर्ध कुंभ मेला
अर्ध कुंभ मेला, महाकुंभ का एक छोटा संस्करण है, जो हर छह साल में हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। यह आयोजन भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, क्योंकि यह पूर्ण कुंभ मेलों के बीच 12 साल के अंतराल को पाटता है। अर्ध का मतलब होता है आधा.. इसीलिए यह छह साल बाद आयोजित किया जाता है।
कुंभ मेला
कुंभ मेला हर तीन साल में एक बार चार स्थानों हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में पवित्र नदियों के तट पर आयोजित होता है। हालांकि यह मेला आकार में छोटा है, लेकिन यह भारत की आध्यात्मिक गहराई में उतरने के लिए भक्तों को आकर्षित करता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और संगम (तीन नदियों का मिलन स्थल पर) में स्नान करते हैं।'
पूर्ण कुंभ मेला
हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों पर पूर्ण कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। महाकुंभ के बाद यह इस पूजनीय त्यौहार का सबसे प्रमुख रूप है। इसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं जो भारत की पवित्र नदियों में पवित्र डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र डुबकी से उनके पाप धुल जाते हैं।
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