जानिए कुंडली में कैसे बनाएं राजयोग, जिसका सही निदान करने पर कम हो सकता है दुष्प्रभाव

किसी ग्रह का किसी ग्रह या राशि से विशेष संबंध होने को भी योग कहते हैं

Update: 2020-11-18 13:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दो या दो से अधिक ग्रहों के संयोग को योग कहते हैं. किसी ग्रह का किसी ग्रह या राशि से विशेष संबंध होने को भी योग कहते हैं. कुछ योग ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को जीवन मैं अपार सफलता धन और यश दिलाते हैं. इन्हें राजयोग कहते हैं. कुछ योगों से व्यक्ति को जीवन मैं धन का अभाव या सामाजिक और पारिवारिक जीवन मैं समस्या झेलनी पड़ती है. इनको दुर्योग या दरिद्र योग कहते हैं. अगर राज योग के समय का सही प्रयोग न हो तो यह निष्फल हो जाते हैं. अगर दुर्योग का ठीक निदान किया जाए तो इसका दुष्प्रभाव कम हो जाता है.

कौन से हैं राजयोग और क्या है इनकी महिमा?

अनफा, सुनफा, दुरधरा, वेशी, वाशी, उभयचारी सूर्य और चंद्रमा से बनने वाले राजयोग हैं. हंस, भद्र, मालव्य, रुचक और शश पञ्च महापुरुष से बनने वाले योग हैं. चन्द्र बृहस्पति का योग-गजकेसरी योग. चन्द्र मंगल योग-महालक्ष्मी योग. अकेला बृहस्पति मजबूत होने से कुंडली में राजयोग बन जाता है.


कौन से हैं दुर्योग या दरिद्र योग और इनका महत्व ?

चंद्रमा से बनने वाले योग-केमद्रुम योग, ग्रहण योग. सूर्य से बनने वाले योग-राजभंग योग, अपयश योग. बृहस्पति से-चांडाल योग, दरिद्र योग. शनि से नंदी योग, दरिद्र योग. राहु और केतु से ग्रहण योग,अंगारक योग और शाप बाधा योग. काल सर्प योग जो राहू और केतु से बनता है वास्तव मैं कोई योग नहीं होता है.

दुर्योगों से बचने के क्या उपाय हैं?

- घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक लगाएं

- माता पिता और जीवनसाथी का सम्मान करें

- तीन धातु का छल्ला मध्यमा ऊंगली मैं या तीन धातु का कडा हाथ मैं धारण करें

- किसी भी दुर्योग के लिए गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें

- धन की दरिद्रता होने पर कनकधारा स्तोत्र पढें

- वैसे हर तरह के दुर्योगों के नाश के लिए गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए

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