Holika Dahan जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Update: 2025-02-09 14:24 GMT
Holika Dahan  ज्योतिष न्यूज़ : होली का त्योहार हिंदू त्योहार एकता, आनंद और परंपराओं का एक भव्य उत्सव है जिसकी धूम पूरी दुनिया में है। दिवाली के बाद हिंदू कैलेंडर में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाने वाला होली आनंद, क्षमा और बुराई पर अच्छाई की जीत की भावना का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, होलिका दहन हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। होली के उत्सव के साथ-साथ होलिका की अग्नि में सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश किया जाता है। इसी क्रम में आइए जानते हैं कि होलिका दहन कब है और इसका
महत्व क्या है।
होलिका दहन तिथि
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ: 13 मार्च , गुरुवार, प्रातः 10:35 से
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त : 14 मार्च, शुक्रवार, दोपहर 12:23 तक
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का मुहूर्त 13 मार्च, रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटे 4 मिनट का समय मिलेगा।
होलिका दहन के दिन पूजा विधि
होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाकर एक थाली में रखें।
इसके साथ रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल और एक कलश भरकर रखें।
फिर भगवान नरसिंह का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, चंदन, पांच प्रकार के अनाज और फूल अर्पित करें।
इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की सात परिक्रमा करें।
अंत में गुलाल डालकर जल चढ़ाएं।

होलिका दहन महत्व
होलिका दहन का महत्व पौराणिक कथाओं से कहीं अधिक है। होलिका के जलाने की परंपरा आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता का प्रतीक है, जो व्यक्तियों को होली के उत्सव के लिए तैयार करती है। इसके अतिरिक्त, होलिका दहन कृषि चक्र से भी संबंधित है। यह पर्व देवताओं को भरपूर फसल के लिए प्रतीकात्मक रूप से अर्पित किया जाता है और आने वाले वर्ष में समृद्धि और प्रचुरता के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है।
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