क्या है श्रीयंत्र
दुर्गा सप्तशती में कहा गया है "आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा" अर्थात आराधना किए जाने पर आदि शक्ति देवी मनुष्यों को सुख, भोग, स्वर्ग अपवर्ग देने वाली होती है. उपासना सिद्ध होने पर सभी प्रकार की "श्री" मतलब चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति हो सकती है. इसीलिए इस यंत्र को श्री यंत्र कहा जाता है. इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी त्रिपुर सुंदरी हैं, इसे शास्त्रों में विद्या, महाविद्या, परम विद्या के नाम से भी जाना जाता है.
कैसे बना श्रीयंत्र-
श्री यंत्र की उत्पत्ति को लेकर धार्मिक पुराणों में उल्लेख मिलता है कि एक बार महालक्ष्मी अप्रसन्न होकर पृथ्वी से बैकुंठ चली गईं. माता के रुष्ट हो जाने से पृथ्वी पर बहुत सी समस्याएं पैदा होने लगी. ब्राम्हण और महाजन बिना लक्ष्मी के निर्धन हो गए, तब ब्राह्मणों में श्रेष्ठ वशिष्ठ मुनि ने निश्चय किया कि लक्ष्मी को प्रसन्न कर पृथ्वी पर वापस ले आऊंगा.
जब मुनि वशिष्ठ बैकुंठ में जाकर माता लक्ष्मी से मिले तो उन्हें पता चला कि माता लक्ष्मी अप्रसन्न हैं वह किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर आने को तैयार नहीं हुई. तब वशिष्ठ ने वहीं पर बैठकर भगवान विष्णु की आराधना शुरू की, नारायण ने प्रसन्न होकर मुनि वशिष्ठ को अपने दर्शन दिए. वशिष्ट ने श्री हरि विष्णु से कहा कि हम पृथ्वी पर बिना लक्ष्मी के बहुत दुखी हैं हमारे सारे आश्रम उजड़ गए हैं और धरती का वैभव खत्म होने वाला है. यह सुनकर भगवान विष्णु वशिष्ठ को साथ लेकर माता लक्ष्मी के पास गए और उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन महालक्ष्मी नहीं मानी और उन्होंने कहा कि मैं किसी भी स्थिति में पृथ्वी पर वापस जाने को तैयार नहीं हूं.
जब चारों दिशाओं में माता लक्ष्मी के पृथ्वी पर वापस ना आने की बात फैल गई तब देवताओं के गुरु बृहस्पति ने एक युक्ति सुझाई उन्होंने कहा कि अब श्री यंत्र साधना ही एकमात्र उपाय बचा है जिससे माता लक्ष्मी को धरती पर आना ही पड़ेगा. गुरु बृहस्पति के निर्देशों से विष्णु ने धातु पर श्री यंत्र का निर्माण किया और उसे मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त करते हुए दीपावली के 2 दिन पूर्व धन त्रयोदशी पर श्री यंत्र को स्थापित कर विधि-विधान से उसका पूजन किया. पूजन समाप्त होते-होते माता लक्ष्मी को वहां आना ही पड़ा और वे बोलीं – 'मैं किसी भी स्थिति में यहां आने के लिए तैयार नहीं थी, यह मेरा प्रण था, परन्तु बृहस्पति की युक्ति से मुझे आना ही पड़ा. श्री यंत्र मेरा आधार है और इसी में मेरी आत्मा निहित है.'
घर में श्री यंत्र स्थापित करने के फायदे और इसका महत्व-
– यदि आप भी अपने घर में श्री यंत्र की स्थापना करना चाहते हैं तो किसी जानकार ज्योतिष शास्त्री से इसको स्थापित करने का शुभ मुहूर्त अवश्य देख लें. शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसलिए कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मुहूर्त अवश्य देखा जाता है.
– श्री यंत्र में साक्षात महालक्ष्मी का वास होता है. इसके अलावा श्री यंत्र जिस जगह होता है वहां चारों तरफ का वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है. इससे माता लक्ष्मी के आगमन पर बाधाएं नहीं आती है.
– श्री यंत्र की स्थापना से अष्ट लक्ष्मी की प्राप्ति भी होती है. इससे बिजनेस में सफलता, सुखी जीवन, आर्थिक मजबूती और पारिवारिक सुख समृद्धि प्राप्त होती है. साथ ही जिन लोगों के व्यापार और जॉब में लंबे समय से रुकावट है या फिर उनकी तरक्की नहीं हो रही उन्हें श्री यंत्र की स्थापना जरूर करनी चाहिए.