जानिए कब और कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप ?

यदि आप भयमुक्त, रोगमुक्त जिंदगी चाहते हैं और अकाल मृत्यु के डर से खुद को दूर करना चाहते हैं

Update: 2022-03-19 03:35 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यदि आप भयमुक्त, रोगमुक्त जिंदगी चाहते हैं और अकाल मृत्यु के डर से खुद को दूर करना चाहते हैं, तो आपको भगवान शिव के सबसे प्रिय 'महामृत्युंजय मंत्र' का जाप करना चाहिए। महामृत्युंजय सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है, जिसका जाप करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। इसके अलावा शिवपुराण और अन्य ग्रंथो में भी इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मृत्यु को जीतने वाला हो। इसलिए भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। शिवपुराण के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र के जाप से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती है। साथ ही इससे जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है। तो चलिए आज जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी मतलब और महत्व के बारे में विस्तार से...

महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी अर्थ
हिंदी में इसका अर्थ है- हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
कब और कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप ?
महामृत्युंजय मंत्र का जाप रोजाना सुबह 4 बजे या ऑफिस जाने से पहले करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ये मंत्र नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है। शिवपुराण के अनुसार इस मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जाप करना चाहिए।
वहीं रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जाप करना चाहिए।
पुत्र की प्राप्ति, जीवन में उन्नति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना शुभ माना गया है।
अगर आप इतनी संख्या में इसका जाप नहीं कर सकते, तो आप कम से कम 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
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