Kundali में महाभाग्य राजयोग होने से जाने क्या होता है

Update: 2024-07-18 11:49 GMT
Kundali Darshan: हर व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में कभी भी पैसों की कमी न हो। वो जिस भी चीज की इच्छा रखे, उसकी इच्छाएं पूरी होती चली जाएं, लेकिन ऐसा हो पाना हर इंसान के लिए सम्भव नहीं है। हम सभी को अच्छे-बुरे दिन सहने ही पड़ते हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से देखें, तो जिन लोगों की कुंडली में महाभाग्य योग होता है, उन्हें जीवन में हर तरह की कामयाबी मिलती है। आइए, जानते हैं क्या होता है महाभाग्य राजयोग और कुंडली में यह कब बनता है।
​महाभाग्य राजयोग क्या होता है​
ज्योतिष में महाभाग्य राजयोग को सर्वाधिक शक्तिशाली एवं लोकप्रिय योगों में से एक माना गया है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि 'महा' का अर्थ होता है 'महान' और 'भाग्य' का अर्थ है 'भाग्य से सफलता, 'भाग्यवान्। इसलिए महाभाग्य योग का अर्थ है कि जातक को जीवन में अपार भाग्य का आशीर्वाद मिलेगा। यह योग इतना शुभ है कि व्यक्ति जो भी चाहता है, उसे वही मिल जाता है। यह एक दुर्लभ योग है, जो जातक को युगपुरुष बना देता है।
कुंडली में कैसे बनता है महाभाग्य राजयोग
महाभाग्य योग तब बनता है, जब लग्न, सूर्य और चन्द्रमा विषम राशियों (मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु अथवा कुम्भ राशि) में स्थित हो और जातक का जन्म दिन के समय हुआ हो, तो great fortune  योग बनता है। यहां माना जाता है कि सूर्य जातक का भाग्य बल बढ़ाते हुए उसके भाग्य में सहायक होता है, लेकिन अगर पुरुष का रात में जन्म हो, लेकिन उस समय पूर्णिमा हो, तब भी महाभाग्य योग विशेष फलदायी होता है। बस फर्क इतना ही रहेगा कि पूर्णिमा की रात्रि में जन्म होने से जातक का चन्द्रमा भाग्य बल का रक्षक रहेगा, वहीं स्त्रियों के लिए कहा गया है कि जातिका का जन्म रात के समय हो और लग्न, सूर्य तथा चन्द्रमा सम राशि में स्थित हों, तो
महाभाग्य
योग होता है और यदि सूर्य स्वराशि सिंह अथवा मेष में स्थित हो और दिन में जन्म हो, तो भी महाभाग्य योग का प्रभाव प्राप्त होता है। अनुभव यह भी बताता है कि लग्न, सूर्य और चन्द्रमा (विषम राशि) में स्थित हों (पुरुष के लिए) और लग्न, सूर्य, चन्द्रमा (सम राशि में) स्थित हों (स्त्री के लिए), तब भी भाग्य बल का विशेष सहयोग प्राप्त होता है।
​महाभाग्य राजयोग होने से भाग्य बनता है प्रबल​
जब महाभाग्य योग बन रहा हो और साथ में लग्न अथवा लग्नेश या सूर्य अथवा चन्द्रमा द्वारा कोई विशेष राजयोग भी विषम राशि में निर्मित हो रहा हो, तब भी और जब विषम राशि में सूर्य (मेष अथवा सिंह) राशि में स्थित हो, बुधादित्य योग बना रहा हो और सूर्य तथा बुध में 10° से अधिक का अन्तर हो, तब भी यह योग विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। इसके अलावा लग्नेश विषम राशि में स्थित हो तथा भाग्येश भी विषम राशि में स्थित हो और लग्नेश अधिहित राशि का स्वामी भी विषम राशि में स्थित हो, तो महाभाग्य योग की प्रबलता बहुत ही प्रचण्ड होती है। इस योग के प्रभाव से भाग्य असाधारण रूप से जातक का साथ देता है।​
​सूर्य दूसरे ग्रहों के साथ बनता है मजबूत​
इस संयोजन के साथ जन्म लेने वालों ने अच्छे कर्म अर्जित किए हैं, जिसके कारण अब उन्हें कई सत्र सविधाएँ और विलासिताएं प्राप्त होती है। महाभाग्य योग को शुभ माना जाता है, क्योंकि इसकी विद्यमानता जीवन में असाधारण उपलब्धियां लाती हैं। हालांकि, यह योग केवल कुछ ही राशियों को आस होता है। इस योग के कारण भाग्य असाधारण तरीके से आपका साथ देगा और आपको धन और प्रसिद्धि दिलाएगा। सूर्य जन्मकुण्डली में शुभ अथवा अशुभ ग्रहों के साथ उनके सम्बन्ध पर निर्भर करता है। यदि जन्मकुण्डली में सभी ग्रह शुभ हो, तो व्यक्ति अच्छा भाग्य प्राप्त करता है, लेकिन यदि अशुभ हो, तो परिणाम बाधादायक भी रह सकते हैं।
​कुंडली महाभाग्य राजयोग होने पर व्यक्ति में होती हैं ये विशेषताएं​
भाग्य की loudness से जातक की प्रगति आगे से आगे होती रही। जातक कर्मसिद्धि से सबको चौंकाता रहा है। जातक स्वयं मानता है कि उसके साथ कोई शक्ति है, जो यूँ ही उसके काम बनते रहे हैं। जातक परदेश में रहने पर भी आपसी लोगों से ऐसे सहयोग प्राप्त करता है, जैसे वह स्वदेश में निवास कर रहा हो। इसके अलावा कुंडली में महाभाग्य योग होने पर धन की देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। महाभाग्य योग से सम्पन्न लोग जनता में बहुत लोकप्रिय होते हैं। उनकी मान-प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होती है। यह जीवन का पूर्ण आनन्द प्राप्त करते हैं। वहीं यह भी देखने को मिलता है कि महाभाग्य योग में जन्मा जातक रूपवान होता है। इस योग में जन्मा जातक दयालु, धर्मात्मा एवं दार्शनिक होता है। वह समृद्ध परिवार एवं अच्छे चरित्र वाला और बुद्धिमान् होता है और अपने व्यक्तित्व से प्रभावित करने की क्षमता से युक्त होता है।
Tags:    

Similar News

-->