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धर्म-अध्यात्म
Guru Pradosh Vrat : इस उपाय से मिलेगी हर काम में सफलता
Tara Tandi
18 July 2024 8:42 AM GMT
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Guru Pradosh Vrat ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार मनाया जाता है इस दिन भक्त भोलेनाथ की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं कहा जाता है कि ऐसा करने से महादेव की असीम कृपा प्राप्त होती है और सारी परेशानियां दूर हो जाती है हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत पूजन किया जाता है यह तिथि शिव साधना को समर्पित होती है
इस दिन रात्रि जागरण करने का भी विधान होता है माना जाता है कि ऐसा करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत आज यानी 18 जुलाई दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है गुरुवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण ही इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जा रहा है इस दिन पूजा पाठ के दौरान भगवान शिव की आरती जरूर करें माना जाता है कि ऐसा करने से शिव प्रसन्न हो जाते हैं और सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
भगवान शिव की आरती
जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ऊँ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ऊँ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ऊँ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ऊँ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ऊँ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ऊँ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ऊँ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ऊँ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ऊँ जय शिव...॥
जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा...॥
माता पार्वती की आरती
जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता
सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
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