चैत्र नवरात्रि की दशमी तिथि में इस विधि से करें नवरात्रि व्रत का पारण और जवारों का विसर्जन

नवरात्रि के पर्व में व्रत के पारण का विशेष महत्व है|

Update: 2021-04-22 02:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवरात्रि के पर्व में व्रत के पारण का विशेष महत्व है. निर्णय सिंधु ग्रंथ में नवरात्रि व्रत के पारण की विधि के बारे में बताया गया है. निर्णय सिंधु के अनुसार नवरात्रि व्रत का पारण नवमी तिथि समाप्त होने और दशमी तिथि प्रारंभ होने पर करना उत्तम बताया गया है. दशमी की तिथि में मां दुर्गा की प्रतिमा और जवारों का विसर्जन किया जाना चाहिए.

चैत्र नवरात्रि पारण की तिथि और शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि पारण तिथि: 22 अप्रैल गुरुवार
नवमी तिथि समापन: 22 अप्रैल गुरुवार, प्रात: 12 बजकर 35 मिनट तक.
विसर्जन कैसे करें
नवरात्रि के व्रत का पारण और विसर्जन में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. विसर्जन का भी बड़ा महत्व बताया गया है. इसलिए इस पूरी प्रक्रिया को बहुत ही सावधानी और विधि पूर्वक करनी चाहिए. तभी पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. सर्वप्रथम मां दुर्गा की प्रतिमा का गंध, चावल, फूल, गंगाजल, मिष्ठान, पंच मेवा और पांच प्रकार के फलों से पूजा करनी चाहिए.
मां दुर्गा की इस मंत्र से स्तुति करें
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे.
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे.
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी.
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते.
इस मंत्र का पाठ करने के बाद विसर्जन की प्रक्रिया को आरंभ करना चाहिए. पूरी प्रक्रिया में शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखना चाहिए. विसर्जन के समय स्वच्छता के नियमों का भी पूर्ण पालन करना चाहिए. मां दुर्गा की प्रतिमा को हाथ जोड़कर बहुत ही भक्तिभाव के साथ चावल, पुष्प, फल और मिष्ठान के साथ विसर्जन करना चाहिए.
विसर्जन के समय इस मंत्र का जाप करें
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि.
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च.
मां की प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद जवारों को परिवार और मित्रों को सहृदय भेंट करना चाहिए. इन्हें फेंकना नहीं चाहिए. इन जवारों को शुद्ध स्थान पर रखना चाहिए.

दशमी की तिथि में नवरात्रि व्रत का पारण किया जाएगा. इस दिन मां दुर्गा प्रतिमा और जवारों का विसर्जन 


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