मंगलवार को अगर कर लिए ये 5 काम, तो सफलता चूमेगी आपके कदम

Update: 2022-11-01 03:50 GMT

हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित हैं. मंगलवार का दिन हनुमान जी के नाम है. इस दिन सच्चे मन और भक्ति से पूजा करने से हनुमान जी भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं. इस दिन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार के दिन अगर ये 5 उपाय कर लिए जाएं, तो भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं. हर बाधा से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति हर क्षेत्र में तरक्की पाता है. आइए जानें मंगलवार को किए जाने वाले उपायों के बारे में.

मंगलवार को हनुमान जी के टोटके

पीपल के पत्तों का उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी की कृपा पाने के लिए पीपल के पत्तों का उपाय बेहद खास है. अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो पीपल के पत्ते का ये उपाय बहुत कारगार हो सकता है. इस दिन बजरंगबली को 11 पीपल के पत्ते अर्पित किए जाते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान कोई भी पत्ता खंडित नहीं होना चाहिए. इन पत्तों की माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित करने से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है.

नारियल का उपाय

मंगलवार के दिन नारियल का ये उपाय भी व्यक्ति की किस्मत बदल सकता है. मंगलवार के दिन नारियल लेकर मंदिर जाएं और अपने सिर से 7 बार घुमाएं और हनुमान जी के सामने इस नारियल को फोड़ दें. ऐसा करने से घर की सभी विपत्तियां दूर हो जाएंगी.

सिंदूर का उपाय

मान्यता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाना शुभ माना जाता है. हनुमान जी को आज के दिन सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने से हनुमान जी भक्तों से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

तुलसी का उपाय

शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी को तुलसी बेहद प्रिय है. मान्यता है कि हनुमान जी के चरणों में तुलसी के पत्ते पर सिंदूर से श्री राम लिखें और उन्हें अर्पित कर दें. मंगलवार के दिन ये उपाय करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं. इतना ही नहीं, हनुमान जी को आज लड्डू का भोग लगाने से भी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने का वरदान मिलता है.

करें इस मंत्र का जाप

मंगलवार के दिन इस मंत्र के जाप को बेहद शुभ और चमत्कारी माना गया है.

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

ॐ अंजनिसुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति प्रचोदयात्।


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