Gajanan Sankashti Chaturthi पर बाधाओं को कैसे दूर करें

Update: 2024-07-21 10:15 GMT
Gajanan Sankashti गजानन संकष्टी : सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणपति बापा की पूजा की जाती है। इसके अलावा जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भी व्रत किया जाता है। सावन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी है। पंचांग अखबार के मुताबिक, सावन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 24 जुलाई को सुबह 7:30 बजे शुरू हो रही है
. वहीं, यह तिथि सुबह 4:19 बजे समाप्त हो
रही है. अगले दिन, 4 जुलाई। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य होने के कारण गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत 24 जुलाई को रखा जाएगा।
जय गणपति सदगुणसदन, कविओर बदन कृपालु।
जय जय जिरजालाल, शुभ कार्य विघ्न हरण।

जय जय जय गणपति गणराजू।

मंगल भरण करण शुभ काजू॥

जय गजबदन सदन सुखदाता।

विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।

तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजत मणि मुक्तन उर माला।

स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।

मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।

चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।

गौरी ललन विश्व-विख्याता॥

ऋद्घि-सिद्घि तव चंवर सुधारे।

मूषक वाहन सोहत द्घारे॥

कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी।

अति शुचि पावन मंगलकारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी।

पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।

तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा॥

अतिथि जानि कै गौरि सुखारी।

बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा।

मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।

बिना गर्भ धारण, यहि काला॥

गणनायक, गुण ज्ञान निधाना।

पूजित प्रथम, रुप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रुप है।

पलना पर बालक स्वरुप है॥

बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना।

लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।

नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं।

सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा।

देखन भी आये शनि राजा॥

Tags:    

Similar News

-->