अहोई अष्टमी व्रत में इन नियमों का करें विशेषरूप से पालन

ये व्रत अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है

Update: 2021-10-26 12:24 GMT

पति की लंबी आयु की कामना के लिए करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) रखने के बाद सुहागिन महिलाएं चार दिन बाद अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat 2021) रखती हैं. ये व्रत अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है. अहोई अष्टमी का व्रत अन्य त्योहारों की तरह महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है. इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए निर्जला व्रत (Ahoi Ashtami Nirjala Vrat) रखती हैं और रात में तारे देखकर और उनका पूजन करके व्रत खोलती हैं. इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर (Ahoi Ashtami 28 October) के दिन रखा जाएगा. अहोई अष्टमी के व्रत के भी कुछ नियम (Ahoi Ashtami Niyam) हैं, इसलिए इस दिन इन नियमों को भूलकर भी न भूलें. इस दिन गौरू पुत्र गणेश जी (Ganesh Ji Puja) की पूजा अहोई अष्टमी की पूजा से पहले करनी चाहिए.


इस बार अहोई अष्टमी के दिन गुरु पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है, जिसे शुभ फलदायी माना जाता है. ऐसे में अहोई अष्टमी व्रत कर रही महिलाओं को नियमों के साथ व्रत रखना चाहिए, ताकि उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकें. आइए जानते हैं अहोई अष्टमी के नियम.

सबसे पहले करें गणेश पूजन
अहोई अष्टमी के दिन वैसे तो अहोई माता की कथा और पूजा की जाती है. लेकिन गणेश जी सभी देवी-देवताओं में पूजनीय हैं. इसलिए अहोई अष्टमी के दिन पहले गणेश जी का पूजन किया जाना चाहिए.

तारों को देखकर ही खोलें व्रत

आमतौर पर हिंदू धर्म में किसी भी व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य के बाद ही किया जाता है. लेकिन अहोई अष्टमी का व्रत पारण तारों को देखने और अर्घ्य के बाद होता है. तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा की जाती है.

सात प्रकार के अनाज

कहते हैं कि अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की कथा सुनते समय हाथ में 7 तरह के अनाज होने जरूरी है. जिसे पूजा के बाद गाय को खिला दिया जाता है.

पूजा में बच्चों को बैठाएं

अहोई अष्टमी का व्रत बच्चों के लिए ही किया जाता है. ऐसे में मान्यता है कि बच्चों को पूजा में साथ जरूर बैठाना चाहिए. क्योंकि ये व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है इसलिए पूजा में माता को भोग लगाने के बाद प्रसाद को बच्चों में जरूर बांटें.

बायना अवश्य निकालें

अहोई अष्टमी के दिन घर के बड़े-बुजुर्गों या सास-ससुर के लिए बायना अवश्य निकालें. वहीं, अगर आपके सास-ससुर पास में नहीं रहते या नहीं है, तो ये बायना आप घर के पास किसी अन्य बुजुर्ग को भी दे सकते हैं.

पेड़-पौधे न तोड़ें

वैसे तो कहते हैं कि शाम होने के बाद पेड़-पौधे या फूल नहीं तोड़ने चाहिए. लेकिन अहोई अष्टमी के दिन एक खास नियम ये भी है कि इस दिन पेड़-पौधे नहीं उखाड़ने चाहिए. हिंदू धर्म में पेड़-पौधों या फूलों को संतान का रूप माना जाता है, इसलिए इस दिन पेड़-पौधे तोड़ने वर्जित होता है.
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