हम आपको शिवपुराण में बताए गए कुछ उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें करने से भोलेनाथ प्रसन्न होंगे और दुख-दर्द दूर करते हुए आपकी किस्मत को चमकाएंगे। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में...
सोमवार को शिवजी की पूजा का महत्व
सोमवार का दिन शिवजी की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। शिवपुराण में बताया गया है कि सोमवार के दिन शिवजी का अभिषेक करने और साथ में चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक बल प्राप्त होता है। कहते हैं चंद्रमा को शिवजी ने अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है इसलिए शिवजी के साथ चंद्रमा की पूजा करना आपको समृद्धिशाली बनाता है और आपके घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। सोमवार को शिवजी की पूजा के बाद किसी गरीब ब्राह्मण को देसी घी से बना भोजन करवाने से शिवजी की विशेष कृपा मिलती है।
पारद शिवलिंग की स्थापना
अगर आप भी अपने घर में शिवलिंग की स्थापना करना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के अवसर पर यह शुभ कार्य कर सकते हैं। महाशिवरात्रि के दिन पारद शिवलिंग की स्थापना करके इनकी पूजा करें। इसके बाद हर दिन शिवलिंग पर शमी के पत्ते चढाएं। इससे धन संपत्ति भोगकर व्यक्ति मृत्यु के बाद उत्तम गति को प्राप्त होता है।
हरसिंगार के फूल
वैसे तो भगवान शिव को भांग, धतूरा, बेलपत्र और आंकड़े के फूल चढ़ाए जाते हैं। लेकिन शिवपुराण में बताया गया है कि शिवजी की पूजा में हरसिंगार के फूलों का प्रयोग करने से मनुष्य को सुख शांति और संपत्ति की प्राप्ति होती है। हरसिंगार के फूलों को वास्तु में भी बहुत खास माना गया है। कहते हैं इनकी महक से घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
शिवलिंग पर चावल
शिवपुराण में शिवजी की पूजा में अक्षत का प्रयोग सबसे जरूरी बताया गया है। मान्यता है कि शिवजी को अटूट चावल चढ़ाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ध्यान रखें कि पूजा में सदैव कच्चे चावल का प्रयोग करना चाहिए और इन्हें कम से कम 3 बार स्वच्छ जल से धोना चाहिए।
बेल के वृक्ष से जुड़ा है यह उपाय
भगवान शिव को बेलपत्र सर्वाधिक प्रिय है और शिवजी की पूजा में बेलपत्र का महत्व सबसे ज्यादा है। शिवपुराण में बताया गया है कि किसी भूखे व्यक्ति को बेल के वृक्ष के नीचे खीर का भोजन करवाने से मनुष्य को शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति साक्षात शिवजी को भोजन करवाने का पुण्य प्राप्त करके जीवन में तमाम भौतिक सुखों को हासिल कर लेता है और मृत्यु के बाद बैकुंठ को प्राप्त करता है।