Chaturmas 2021 : चातुर्मास के 4 महीनों में इन चीजों को खानाहै मना, सेहत के लिए रखें दूर
चातुर्मास 2021 आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से शुरू होता है।
चातुर्मास 2021 आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से शुरू होता है और देवउठनी एकादशी तक चार महीनों तक चलता है। देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु शिवजी को सृष्टि का संचालक बनाकर चार महीनों के लिए शयन काल में चले जाते हैं और फिर देवउठनी एकादशी से वापस सृष्टि का कार्यभार देखते हैं। चातुर्मास के चार महीनों में शादी-विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्य करना वर्जित बताया है। चातुर्मास का समय ध्यान व साधना के लिए उत्तम माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, चातुर्मास के समय पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है इसलिए कुछ चीजें ऐसी हैं, जो इन चार महीनों में खाने के लिए वर्जित बताया गया है। इसको लेकर कुछ नियम भी बनाए गए हैं, जिनको करने से सेहत तंदुरुस्त रहती है…
स्वास्थ्य पर पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
चातुर्मास के समय पाचन शक्ति कमजोर होने के साथ-साथ पानी के दूषित होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसलिए जल से संबंधित बीमारियों के बढ़ने की आशंका बनी रहती है। चातुर्मास में सावन, भाद्रपद, आश्विन (क्वार) और कार्तिक माह आते हैं। शास्त्रों में इन चार महीनों में चार चीजों को खाना वर्जित बताया गया है। विज्ञान भी मानता है कि चतुर्मास के दौरान स्वास्थ्य पर सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए सेहत के लिए चतुर्मास के दौरान व्रत, नियम, सुपाच्य भोजन लेना व योग करना बेहतर होता है, इससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
सावन मास में न खाएं यह चीज
चातुर्मास का पहला महीना सावन का होता है, जो भगवान शंकर को समर्पित है। इस मास में हरी पत्तेदार सब्जियों के खाने से परहेज करना चाहिए। सावन के मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियां बैक्टीरिया के संक्रमण से ग्रसित मानी जाती हैं। क्योंकि वर्षा के कारण बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए सही नहीं माने जाते। इस दौरान हरी पत्तेदार सब्जियों में बहुत कीड़े होते हैं, जो बीमारी फैलाने, पेट और स्किन की बीमारी के लिए खतरा माने जाते हैं।
भाद्रपद मास में न खाएं यह चीज
चातुर्मास का दूसरा महीना भाद्रपद का होता है, यह भगवान कृष्ण का महीना बताया गया है। भाद्रपद को भादो के नाम से भी जाना जाता है। इस मास में दही या दही से बनी चीजों जैसे छाछ, लस्सी का सेवन नहीं करना चाहिए। दही में पहले से ही बहुत ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं और इस माह में वर्षा के कारण इनमें बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, जो आंतों के लिए नुकसानदायक होता है। इनसे आंतें हमेशा के लिए कमजोर हो सकती हैं। भाद्रपद में तिल का खाना अच्छा माना जाता है क्योंकि तिल गर्म होते हैं और इसके खाने से शरीर में गर्मी पैदा होती है, जो बारिश के मौसम में रोग प्रतिरोधक प्रणाली को बढ़ा देती है।
आश्विन मास में न खाएं यह चीज
चातुर्मास का तीसरा महीना आश्विन का होता है, जिसे क्वार के नाम भी जाना जाता है। यह महीना देव और पितृ दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस मास में दूध का सेवन करने से बचना चाहिए। इस महीने वर्षा होती है और ज्यादातर गाय-भैंस खुले में रहती हैं, जिसके कारण दूध में अजीब सी महक और स्वाद आ जाता है। साथ ही अन्य तरह के कीड़े भी दूध में जाने की संभावना अधिक रहती है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इस माह में हर रोज गुड़ खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है।
कार्तिक मास में न खाएं यह चीज
चातुर्मास का अंतिम यानी चौथा महीना है कार्तिक, इस महीने में भगवान विष्णु नारायण रूप में जल में विराजमान रहते हैं। कार्तिक महीने में दीपावली का त्यौहार आता है। इस माह में दाल, बैंगन, करेला खाने से परहेज करना चाहिए। माना जाता है कि इस माह में पित्त दोष संबंधित बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है और दालों और अन्य चीजों के सेवन करने से पित्त दोष बढ़ता है। इस माह मूली का खाना सही माना गया है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।