चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाली है,इसलिए पहले से ही एकत्र कर ले ये पूजन सामग्री
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल, शनिवार से शुरू होने वाली है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। मां का हर एक अवतार काफी खास है जिनकी पूजा का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
नवरात्रि के कुछ ही दिन शेष रह गए है। ऐसे में हर कोई मां के आगमन के समय किसी भी तरह की रुकावट नहीं चाहते हैं। इसलिए पहले से ही पूजन सामग्री जुटा रहे हैं। लेकिन कई बार एन वक्त में कुछ न कुछ भूल जाते हैं। ऐसे में आपकी काम ये पूजन सामग्री की लिस्ट आ सकती है।
दुर्गा पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर, फूल, फूल माला, आम के पत्ते, चौकी में बिछाने के लिए लाल रंग का कपड़ा, बंदनवार, सिंदूर, सोलह श्रृंगार (बिंदी, चूड़ी, तेल, कंघी, शीशा आदि), पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पीसी हुई हल्दी, आसन, चौकी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, पंचमेवा, गंगाजल, नैवेध, जावित्री,नारियल जटा वाला, सूखा नारियल, नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या फिर चावलों को रंग लें, दूध, वस्त्र, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती आदि।
कलश स्थापना के लिए सामग्री
पुराणों के अनुसार मांगलिक कामों के पहले कलश की स्थापना करना शुभ माना जाता है। क्योंकि कलश में भगवान गणेश के अलावा नक्षत्र, ग्रह विराजमान होते हैं। इसके अलावा कलश में गंगाजल के अलावा तैतीस कोटि देवी-देवता होते है। इसलिए कलश स्थापना करना शुभ योग देने वाला माना जाता है। कलश स्थापना के लिए मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, जटा वाला नारियल, जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, मौली, थोड़ा सा अक्षत, हल्दी-चूने से बना तिलक आदि ले आएं।
मां दुर्गा के श्रृंगार की लिस्ट
नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार को करना शुभ माना जाता है। इसलिए आप चाहे तो पहले से ही सोलह श्रृंगार का समान ला सकते हैं। इसमें आप लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, महावर, शीशा, बिछिया, इत्र, चोटी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र, पायल, नेल पेंट, लाली (लिपस्टिक), चोटी के लिए बैंड, नथ, गजरा, मांग टीका, कान की बाली, कंघी, शीशा आदि श्रृंगार ले आएं।