इन दो तिथियों पर स्नान करना बहुत जरूरी, यदि बीमार हैं तो क्या करें

हिंदू धर्म में व्यक्ति के मन की शुद्धता के साथ साथ तन की शुद्धता के ​महत्व को भी बताया गया है

Update: 2021-08-14 09:54 GMT

हिंदू धर्म में व्यक्ति के मन की शुद्धता के साथ साथ तन की शुद्धता के ​महत्व को भी बताया गया है और​ नियमित रूप से स्नान व पूजा पाठ की बात कही गई है. स्नान करने से हमारे शरीर की तमाम अशुद्धियां दूर हो जाती हैं और शरीर कई बीमारियों से बचा रहता है. इसके अलावा स्नान से शरीर के साथ दिमाग भी फ्रेश होता है, जिसके कारण व्यक्ति काफी एनर्जी को महसूस करता है और और कोई भी काम बेहतर तरीके से कर पाता है.

लेकिन कुछ लोग नहाने के मामले में काफी आलसी होते है. सर्दियों के मौसम में तो वे हर वक्त न नहाने का कोई न कोई बहाना ढूंढते हैं, जो कि उनकी सेहत के हिसाब से गलत है. शास्त्रों में कुछ विशेष तिथियों को बहुत पावन माना गया है और इन तिथियों पर हर हाल में स्नान की बात कही गई है वर्ना व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है. यहां जानिए उन महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में.

इन दो तिथियों पर स्नान करना बहुत जरूरी

पूर्णमासी- पूर्णिमा तिथि को पूर्णमासी भी कहा जाता है. ये दिन भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है और इस दिन स्नान का विशेष महत्व है. तमाम लोग पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान के लिए जाते हैं. अगर आप नदियों तक नहीं जा सकते तो कम से कम घर में तो स्नान करना ही चाहिए. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन स्वच्छता न बरतने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं. ऐसे में परिवार में धन टिक नहीं पाता और खर्चे बढ़ते जाते हैं. यदि श्रीनारायण भगवान औरमाता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करनी है तो पूर्णिमा तिथि पर स्नान जरूर करें.

अमावस्या- ये तिथि पितरों से जुड़ी तिथि मानी जाती है. इस दिन लोग पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए पूजन आदि करते हैं. इसलिए हर किसी को अमावस्या के दिन जरूर स्नान करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा न करने वाले पितरों के क्रोध के भागी बनते हैं. उनके जीवन में कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं. बीमारियां घेरने लगती हैं, आर्थिक नुकसान होते हैं और बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं. इसलिए अमावस्या तिथि पर स्नान जरूर करें.

ये तिथियां भी महत्वपूर्ण

शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी तिथि और कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भी काफी पावन तिथियां माना गया है. हर महीने की चतुर्थी तिथि गणपति भगवान को समर्पित मानी गई है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु का श्रेष्ठ व्रत रखा जाता है. इस दिन स्वच्छता के साथ कुछ नियमों का पालन किया जाता है. त्रयोदशी तिथि पर शिव भगवान को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि होती है. इन सभी तिथियों को काफी पावन माना गया है. इनमें स्नान करने के बाद पूरी श्रद्धा के साथ भगवान का मन में ध्यान करना चाहिए.

यदि बीमार हैं तो क्या करें

यदि आप ज्यादा बीमार हैं और स्नान करने की स्थिति में नहीं हैं तो अपने हाथ, पैर और मुंह को धो लें या किसी साफ तौलिए को पानी में भिगोकर शरीर को अच्छे से पोंछ लें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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