बहुला चतुर्थी 2022: इस आरती के बिना अधूरा है बहुला चतुर्थी का व्रत, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय

जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय

Update: 2022-08-15 07:26 GMT

उज्जैन. हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2022) का व्रत किया जाता है। इस बार ये उत्सव 15 अगस्त, सोमवार को किया जाएगा। इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार बहुला चतुर्थी का व्रत करने से संतान से संबंधित शुभ फल मिलते हैं। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 14 अगस्त, रविवार की रात 10:35 से शुरू होगी, जो 15 अगस्त, सोमवार की रात 09:01 तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर बहुला चतुर्थी व्रत 15 अगस्त को रखा जाएगा। आगे जानिए बहुला चतुर्थी की पूजा विधि, महत्व व शुभ मुहुर्त…

बहुला चतुर्थी के शुभ मुहूर्त (Bahula Chaturthi 2022 Shubh Muhurat)
15 अगस्त, सोमवार को गद और धृति नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन चंद्रमा और गुरु ग्रह की युति मीन राशि में रहेगी, जिसके चलते गजकेसरी नाम का राजयोग दिन भर रहेगा। सोमवार को राहुकाल सुबह 07.29 से 09:08 तक रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन पूजा की जा सकती है।
इस विधि से करें बहुला चतुर्थी की पूजा (Bahula Chaturthi 2022 Puja Vidhi)
15 अगस्त की उठकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। भगवान को अबीर, गुलाल, कुंकुम, फूल, मौसमी फल आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद भोग लगाएं, उसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें। इसके बाद दूध देने वाली गाय की उसके बछडे़ सहित पूजा करें। तांबे के बर्तन में पानी, चावल, तिल और फूल मिलाकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए गाए के पैरों पर डालें।
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
इसके बाद गाय को चारा व अन्य चीजें खिलाएं। अंत में गौ माता की आरती भी करें। दिन भर कुछ खाएं नहीं। संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। शाम को सूर्योस्त होने के बाद व्रत पूर्ण करें। इस तरह बहुला चतुर्थी का व्रत करने से संतान से जुड़ी हर समस्या दूर हो सकती है।

ये उपाय करें (Bahula Chaturthi 2022 Ke Upay)
1. इस दिन अगर गाय की पूजा न कर पाएं तो किसी गौशाला में चारे का दान करें।
2. जरूरतमंदों को कच्चा अनाज, भोजन, वस्त्र आदि चीजें दान करें।
3. भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। उसमें तुलसी जरूर डालें।
4. भगवान श्रीकृष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें।
5. बहुल चतुर्थी पर बछड़े सहित गाय की सेवा करें।

गौ माता की आरती
ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता।। मैया जय।।
सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिले।
जो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले।। मैया जय ।।
आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई ।
शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई ।। मैया जय।।
सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो।
अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो।। मैया जय।।
ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता।
जग की पालनहारी, कामधेनु माता।। मैया जय।।
संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गायी ।
गौ शाला की सेवा, संतन मन भायी।। मैया जय।।
माँ गौ की रक्षा हित, हरी अवतार लियो।
गौ पालक गौपाला, शुभ सन्देश दियो।। मैया जय।।
श्री गौमात की आरती, जो कोई सुत गावे।
"पदम्" कहत वे तरणी, भव से तर जावे।। मैया जय।।


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