लंबे समय से कमर दर्द को नज़रअंदाज़ कर रही हैं तो आपको इस बीमारी का ख़तरा हो सकता है
कमर के दर्द को रोज़ाना का दर्द मानकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता
हेल्थ | अक्सर कमर के दर्द को रोज़ाना का दर्द मानकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, पर आपको जानकर बड़ा धक्का लग सकता है कि यह दर्द उन्हें एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) नामक बीमारी की सौगात दे सकता है. आम धारणा यह है कि एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) पुरुषों की बीमारी है. पर इससे जुड़े शोध महिलाओं को भी इसके शिकार की जद में आने की गवाही देते हैं.
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) ऐसी बीमारी है जिसमें सबसे पहले कमर में दर्द होता है. और इसकी डरावनी बात यह है कि यह बीमारी 20 से 30 वर्ष की उम्र में भी हो सकती है. यह बीमारी प्रत्येक 500 में से एक वयस्क को होती है, यह एक अपरिवर्तनीय, इफ़्लैमेटरी और ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें रीढ़ की हड्डियां आपस में जुड़ जाती हैं. एएस का वास्तविक कारण अब भी अज्ञात है, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि एएस के अधिकांश रोगियों में एक जीन एचएलए-बी27 कॉमन होता है. एएस के कारण शरीर के विभिन्न अंगों (कमर, नितंब और जांघ आदि) में स्थायी दर्द, अकड़न और सूजन होती है, ख़ासकर सुबह के समय या लंबे समय तक बैठने के बाद.
आमतौर पर जिन लोगों में इस बीमारी की शुरुआत होती है, वे दर्द से बचने के लिए पेन किलर्स और पेन रिलीफ़ क़ीम्स लगाते रहते हैं. पर बीतते साल के साथ रीढ़ की हड्डियों की स्थिति और बुरी होती जाती है. और एक दिन आता है, जब मरीज़ का उठ पाना भी मुश्क़िल हो जाता है. इस बीमारी के बारे में कहते हैं कि यह पुरुषों की बीमारी है. यही कारण है कि अक्सर पुरुषों को लगातार कमर दर्द की समस्या रहने पर एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का परीक्षण कराया जाता है. इसके चलते पुरुषों में यह बीमारी 3 साल की देरी से डिटेक्ट हो जाती है. पर महिलाओं में यह देरी औसतन 10 साल हो जाती है. इतना समय काफ़ी है मामले को ख़राब करने के लिए. महिला रोगियों के उपचार की शुरुआत होने तक उनकी रीढ़ की हड्डियां जुड़ने लगती हैं और झुक जाती हैं.