Renovation के लिए जुटे युवा, तीन हाइड्रा मशीनें, दो जेसीबी

Update: 2024-07-05 12:22 GMT
Una. ऊना। ऊना-टक्का रोड स्थित 18वीं शताब्दी में बनाए गए ऐतिहासिक तालाब का जीर्णोद्वार होगा। इस तालाब को पुरानी पद्धति अनुसार ही पत्थर व चुना से बनाया जाएगा। इस तालाब के जीर्णाेद्धार में नए व आधुनिक सामग्री की जगह पुराने पत्थर का ही प्रयोग किया जाएगा। गुरु नानक मिशन संस्था द्वारा तालाब को सहेजने के लिए कार सेवा शुरू की है, जिसमें हिमाचल व पंजाब के सेवादार सेवा कर पुण्य कमा रहे है। तालाब को भव्य बनाया जाएगा। वहीं तालाब के चारों तरफ बाउंड्री वॉल लगाई जाएगी। तालाब को पर्यटन की दृष्टि से बेहतर बनाया जाएगा। बताते चलें कि तालाब का निर्माण कार्य बाबा साहिब सिंह बेदी जी द्वारा करवाया गया था। इसका निर्माण कार्य वर्ष 1817 में शुरू हुआ और 1824 में तालाब बनकर तैयार हो गया। तालाब चूना व पत्थर से बनाया गया है। तालाब की प्राचीन कारीगरी देखते ही बनती है। तालाब में दो कुएं बने है। वहीं पानी निकालने के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अलावा तालाब में जाने के लिए चारों तरफ सीढिय़ों का निर्माण किया गया है। महिलाओं के लिए अलग से स्नान करने के लिए व्यवस्था की गई थी। बताया जाता है कि 18वीं ईस्वी में
प्लेग की भयंकर बीमारी फैली थी।
इंसान व जीव- जंतु प्लेग बीमारी की चपेट में आकर मौत का ग्रास बन रहे थे। उस समय संगत ऊना नगरी को बसाने वाले बाबा साहिब सिंह बेदी जी के पास पहुंचे और इस बीमारी से उनकी रक्षा करने की गुहार लगाई। जिस पर बाबा साहिब सिंह जी बेदी ने बाबा वीर सिंह जी नौरगांबाद वालों को एक तालाब बनाने के निर्देश दिए। वर्ष 1817 में बाबा वीर सिंह जी ने संगत के साथ मिलकर सरोवर (तालाब) निर्माण कार्य शुरु किया था। तालाब को प्राचीन तरीके से पत्थर से बनाया गया। तालाब में चार तरफ सीढिय़ों बनाई गई। तालाब में पानी के लिए दो कूएं बनाए गए। वहीं तालाब से पानी को निकालने के लिए भी कूहल बनाई गई। इसके जरिये पानी दूसरी जगह बने कूएं में पहुंचाया जाता। पूरे तालाब को भव्य तरीके से बनाया गया है। जिसकी खूबसुरती देखते ही बनती थी। तालाब बनाने के बाद बाबा साहिब सिंह बेदी जी ने बाबा वीर सिंह जी को देश के सभी तीर्थ स्थलों से जल लाने के निर्देश दिए। बाबा जी के निर्देश पर वीर सिंह जी तीर्थ स्थलों के भ्रमण पर निकले और सभी तीर्थ स्थलों से जल एकत्रित कर ऊना नगरी में पहुंचे। जहां सभी तीर्थ स्थलों के जल को तालाब में डाला गया। जैसे ही तीर्थ स्थलों का जल तालाब में डाला गया, तो तालाब में एकाएक पानी भर गया। मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने मात्र से लोगों को विभिन्न बीमारियों से निजात मिलती है। लोगों के दुखों का निवारण होता है।
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