पश्चिम बंगाल पुलिस ने CBI को सौंपा शेख शाहजहां

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Update: 2024-03-06 13:31 GMT
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल पुलिस ने CBI को सौंपा शेख शाहजहां, कोर्ट की डेडलाइन से तीन घंटे बाद दी कस्टडी।
संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले के मुख्य आरोपी और तृणमूल कांग्रेस के नेता रहे शाहजहां शेख की हिरासत को लेकर बंगाल पुलिस और सीबीआई के बीच टकराव ने नया मोड़ ले लिया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने शाहजहां शेख को केंद्रीय एजेंसी को सौंपने के लिए बंगाल पुलिस के लिए एक नई समय सीमा तय कर दी है. जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने बंगाल पुलिस को आज शाम 4.15 बजे तक शाहजहां शेख की हिरासत सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया. डेडलाइन खत्म होने के बाद सीबीआई की टीम शेख शाहजहां की कस्टडी लेने बंगाल पुलिस के हेडक्वॉर्टर पहुंच गई है. हालांकि, बंगाल पुलिस ने अभी हैंडओवर नहीं दिया है.
हाईकोर्ट ने एक दिन पहले ही तृणमूल कांग्रेस के निष्कासित नेता को शाम साढ़े चार बजे तक सीबीआई को सौंपने को कहा था. हालांकि पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सीबीआई की टीम कल जब शाहजहां को हिरासत में लेने के लिए पहुंची तो उन्‍हें बताया गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार के तत्‍काल सुनवाई के अनुरोध को ठुकरा दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि वह अपने आदेश के कार्यान्वयन को लेकर गंभीर है. इसमें कहा गया, "सुप्रीम कोर्ट ने रोक का आदेश नहीं दिया है. इसलिए शाहजहां को आज शाम 4.15 बजे तक सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए."
साथ ही हाईकोर्ट ने अवमानना ​​का नोटिस भी जारी किया और बंगाल पुलिस के आपराधिक जांच विभाग को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले के मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने और मुख्य आरोपी शाहजहां शेख को केंद्रीय एजेंसी को सौंपने के उसके मंगलवार के आदेश को ‘‘तुरंत लागू'' करे. ईडी ने राज्य सरकार के खिलाफ जस्टिस हरीश टंडन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक अवमानना याचिका दायर की. एजेंसी ने दावा किया गया कि राज्य सरकार ने मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली पीठ के मंगलवार के आदेशों को लागू नहीं किया है. अदालत ने रेखांकित किया कि राज्य ने दलील दी है कि उसने मंगलवार के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है, लेकिन जबतक शीर्ष अदालत आदेश पारित नहीं करती तब तक उसके आदेशों के कार्यान्वयन पर कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई गई है.
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