Sarkaghat. सरकाघाट। सरकाघाट के प्राचीन और प्रसिद्ध शक्ति पीठ नौबाही देवी मंदिर में चल रही अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए नौबाही मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने सक्रियता दिखाई है। समिति के अध्यक्ष ललित जम्वाल ने सोमवार को एक ज्ञापन तहसीलदार सरकाघाट और मंदिर कमेटी के कार्यकारी अधिकारी मनीष कुमार के नाम सौंपा। यह ज्ञापन तहसीलदार की अनुपस्थिति में कार्यालय अधीक्षक ग्रेड-2 के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। ज्ञापन में ललित जम्वाल ने बताया कि नौबाही देवी मंदिर की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। परंपराओं को दरकिनार करते हुए मंदिर में मनमानी की जा रही है। मंदिर को मिलने वाले धन, अनाज, और सोने-चांदी का सही से लेखा-जोखा नहीं रखा जा रहा है। उन्होंने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए मंदिर की पारंपरिक व्यवस्थाओं को बहाल करने की मांग की। संघर्ष समिति की मुख्य मांगो में श्रद्धालुओं को परंपरानुसार कपूर मिश्रित चंदन का तिलक लगाया जाए। माता रानी को मीठी खीलें और पताशा चढ़ाने की परंपरा को बहाल किया जाए।
फीकी खीलों की प्रथा को समाप्त किया जाए, क्योंकि यह कभी मंदिर की परंपरा का हिस्सा नहीं रही है और 1947, 1970 और 2024 की स्थिति के अनुसार मंदिर की कुल भूमि का विस्तृत विवरण सार्वजनिक किया जाए। मंदिर की भूमि की पैमाइश कराई जाए, ताकि किसी भी अनियमितता पर रोक लगाई जा सके। वर्तमान में जर्जर हो चुकी मंदिर की सराय भवन का पुर्ननिर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाए, जिससे श्रद्धालुओं को ठहरने की बेहतर सुविधाएं मिल सकें। मंदिर परिसर में पुरातत्व विभाग और भाषा एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से एक संग्रहालय बनाया जाए। गुरुकुल कक्षाओं के संचालन के लिए उचित औपचारिकताएं पूरी कर निविदा जारी की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि गुरुकुल मंदिर के अधिकार क्षेत्र में रहे और इसका संचालन काशी, वृंदावन या पुरी पीठ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा हो। ललित जम्वाल ने कहा कि प्रशासन और मंदिर कमेटी के नेतृत्व में पहले भी कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं। संघर्ष समिति को उम्मीद है कि इन सुधारात्मक मांगों पर भी शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।