बहुचर्चित ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस: हिंदू पक्ष के हक में आया फैसला, केशव प्रसाद मौर्य ने कही ये बात
लखनऊ: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर में पूजा-अर्चना की अनुमति देने से जुड़े केस की सुनवाई को लेकर जिला कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने श्रृंगार गौरी में पूजा के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को सुनवाई के योग्य माना है. इस फैसले को हिंदू पक्ष में माना जा रहा है. कोर्ट के निर्णय के बाद यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट किया है. इस ट्वीट में उन्होंने कोर्ट के फैसले का जिक्र तो नहीं किया है, मगर उनके ट्वीट की टाइमिंग की वजह से उसी तरफ से इशारा माना जा रहा है.
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट में लिखा- 'करवट लेती मथुरा, काशी!' हालांकि, केशव दो और भी ट्वीट किए हैं. इनमें एक ट्वीट में उन्होंने लिखा- 'बाबा विश्वनाथ जी मां शृंगार गौरी मंदिर मामले में माननीय न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं,सभी लोग फैसले का सम्मान करें!' दूसरे ट्वीट में मौर्य ने लिखा- 'सत्यम शिवम् सुंदरम.'
बता दें कि मौर्य लगातार अपने बयानों में अयोध्या, मथुरा और काशी में मंदिर का जिक्र करते रहे हैं. इसे लेकर मुखर भी देखे गए हैं. दिसंबर 2021 में केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया था- 'अयोध्या और काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है और मथुरा की तैयारी है.' उन्होंने '#जय_श्रीराम, #जय_शिव_शम्भू, #जय_श्री_राधे_कृष्ण' का नारा भी दिया था.
दरअसल, अयोध्या-काशी-मथुरा शुरू से ही बीजेपी के एजेंडे में शामिल रहे हैं. अयोध्या में बाबरी मस्जिद और श्रीराम जन्मभूमि का विवाद रहा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राममंदिर के पक्ष में आ गया है. उसके बाद से अयोध्या में राममंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. दावा किया जाता है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद जिस जमीन पर बनाई गई है, उसके नीचे ही कृष्ण जन्मभूमि है. मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण कराया था.
इसी तरह काशी के विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भी विवाद जारी है. बीजेपी और वीएचपी ने अयोध्या-मथुरा-काशी को लेकर देश भर में आंदोलन चलाया था, जिसमें अयोध्या मुद्दा सबसे ऊपर रहा था. राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान 6 दिंसबर 1992 में बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने विध्वंस कर दिया था. उस समय पीएचपी का एक नारा था- 'बाबरी मस्जिद झांकी है, काशी- मथुरा बाकी है'.
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद में कोर्ट में सुनवाई चल रही है. मथुरा में 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का विवाद है. इसमें 10.9 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री ने इस मामले में वाद दायर किया है. याचिकाकर्ताओं ने केशव देव मंदिर के परिसर से 17वीं सदी की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की है.
उनका दावा है कि मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनाई गई है. अयोध्या के रामजन्म भूमि विवाद की तरह ही मथुरा में भी एक जन्मभूमि विवाद है. हिंदुओं ने दावा में कहा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी. औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई.
हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा-अर्चना करने की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला कोर्ट को यह तय करना था कि मामला सुनने योग्य है या नहीं. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में पोषणीय नहीं होने की दलील देते हुए इस केस को खारिज करने की मांग की थी. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस मामले में सुनवाई हो सकती है, जिसके लिए 22 सितंबर की तारीख तय हुई है.
अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है. इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.