आज विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहादुर सैनिकों के शौर्य को याद किया
साल 1971 में आज ही के दिन (16 दिसंबर) को ही भारत ने आधिकारिक तौर से पाकिस्तान पर विजय की घोषणा की थी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। साल 1971 में आज ही के दिन (16 दिसंबर) को ही भारत ने आधिकारिक तौर से पाकिस्तान पर विजय की घोषणा की थी. इसलिए हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वर्णिम विजय दिवस पर कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने बहादुर सैनिकों के शौर्य को याद किया और 1971 युद्ध को भारतीय सेना के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया.
राजनाथ सिंह ने कहा, 'स्वर्णिम विजय दिवस के अवसर पर हम 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं. 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है. हमें अपने सशस्त्र बलों और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है.'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'भारतीय सैनिकों के अद्भुत साहस व पराक्रम के प्रतीक विजय दिवस की स्वर्ण जयंती पर वीर सैनिकों को नमन करता हूं. 1971 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने दुश्मनों पर विजय कर मानवीय मूल्यों के संरक्षण की परंपरा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा था.'
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने KOO पर कहा, '1971 के युद्ध में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में विजय दिवस की 50 वीं वर्षगांठ पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई. भारतीय सेना के अद्वितीय पराक्रम व साहस को नमन कर, उन वीर सपूतों को स्मरण करता हूं जिन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण कर देश का गौरव बढ़ाया.'
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आज विजय मशालों के श्रद्धांजलि समारोह में लेंगे हिस्सा
'71 युद्ध के स्वर्णिम विजय पर्व के मौके पर आज प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय समर स्मारक पर वीरगति को प्राप्त सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इस मौके पर चारों दिशाओं में भेजी गई मशाल भी पीएम की मौजूदगी में नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचेंगी. 71 युद्ध के वेटरन भी इस दौरान वहां मौजूद रहेंगे.
भारत की 1971 के युद्ध में जीत और बांग्लादेश के गठन के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह के एक हिस्से के रूप में, पिछले साल 16 दिसंबर को, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अनन्त ज्वाला से स्वर्णिम विजय मशाल को जलाया था. उन्होंने चार मशालें भी जलाईं जिन्हें अलग-अलग दिशाओं में जाना था. तब से, ये चार मशालें सियाचिन, कन्याकुमारी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लोंगेवाला, कच्छ के रण, अगरतला आदि सहित देश की लंबाई और चौड़ाई में फैल गई हैं. अग्नि मशालों को प्रमुख युद्ध क्षेत्रों और वीरता पुरस्कार विजेताओं और 1971 के युद्ध के दिग्गजों के घरों में भी ले जाया गया.आज श्रद्धांजलि समारोह के दौरान, इन चारों मशालों का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर प्रधानमंत्री द्वारा अनन्त लौ के साथ विलय किया जाएगा.