सीएम को दी थी जान से मारने की धमकी, विदेशी सर्वरों से भेजे गए थे धमकी भरे कई ई-मेल, अब लगा ये झटका

बम से उड़ाने की दी थी धमकी।

Update: 2022-03-30 11:37 GMT

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जुलाई 2020 में दो अलग-अलग मेल से अलग-अलग दिन पर जान से मारने की धमकी दी गई थी. इस मामले में कार्रवाई में देरी होने के कारण अब सीएम हेमंत को धमकी देने वाली को पकड़ पाना नामुमकिन सा हो गया है. दरअसल जर्मन सरकार ने साफ कह दिया है कि वह डेटा का प्रिजर्वेशन सिर्फ साल भर तक ही करती है. लिहाजा देरी से जानकारी मिलने के कारण अब इस बात का पता लगाना मुश्किल हो गया है कि धमकी किसने दी थी.

इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर जांच की जिम्मेदारी सीआईडी को दे दी थी. तभी तफ्तीश में पता चला कि विदेशी सर्वर का इस्तेमाल करके धमकी दी गई है. इस मामले में इंटरपोल से भी मदद मांगी गई थी लेकिन प्रक्रिया लंबी होने के कारण देर होती चली गई.
मुख्यमंत्री को साइबर अपराधियों ने जर्मन कंपनी के सर्वर से मेल भेजा था. इंटरपोल के जरिये जर्मनी से सर्वर का डिटेल मांगा गया था लेकिन अब जर्मन सरकार ने इंटरपोल के जरिए पत्राचार किया है. इसमें बताया गया है कि संबंधित सर्वर में डाटा एक साल तक ही संरक्षित होता है. अब डाटा नहीं होने के कारण इसे इंटरपोल को नहीं सौंपा जा सकता. इसके बाद इंटरपोल ने इस संबंध में राज्य पुलिस की सीआईडी को जानकारी दे दी है.
विदेशी सर्वर से जानकारी जुटाने के लिए इंटरपोल की मदद ली जाती है. इंटरपोल से राज्य की पुलिस सीधे अनुरोध नहीं कर सकती, इसलिए सीबीआई के जरिए ही इंटरपोल से मामले में कार्रवाई कराई जाती है. ऐसे में केस के जांचकर्ता ने सीआईडी मुख्यालय के आदेश से सीबीआई मुख्यालय दिल्ली को पत्र लिखा था. साइबर थाना के जांच पदाधिकारी ने इंटरपोल से मदद लेने के लिए कोर्ट में आवेदन भी दिया था.
साइबर अपराधियों ने 8 और 17 जुलाई 2020 को ई-मेल भेजकर धमकी दी थी. रांची के साइबर थाने में केस दर्ज किया गय था. दोनों ई-मेल भेजने में जर्मनी व स्विटजरलैंड के सर्वरों का इस्तेमाल किया गया था. 8 जुलाई को मुख्यमंत्री सचिवालय में जो धमकी भरा मेल आया था, उसमें मुख्यमंत्री को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी. वहीं 13 जुलाई स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर के बयान पर एफआईआर दर्ज कराई गई. बाद में जुलाई में दो बार और अलग-अलग मेल से धमकी भेजी गई थी.
Tags:    

Similar News

-->