शराब फैक्ट्री के वेस्ट पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, पर्यवारण संरक्षण मंडल से मांगा नया हलफनामा
छग
Bilaspur. बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट शराब फैक्ट्री के अपशिष्ट से शिवनाथ नदी के प्रदूषित होने को लेकर स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर लगातार सुनवाई कर रही है. इस मामले में आज चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान नदी के पानी की स्वच्छता रिपोर्ट के साथ छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से एक नया हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई अब 2 अप्रैल को होगी। मामले की पिछली सुनवाई 16 दिसंबर को हुई थी, जिसमें छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय कार्यालय ने हाइकोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश की थी जिसमें नदी के पानी में प्रदूषण नहीं मिलने और पानी साफ होने की जानकारी दी गई थी. हाइकोर्ट ने इसके बाद पर्यावरण को 16 दिसंबर के बाद से लेकर नियमित वाइन फैक्ट्री के साथ-साथ अन्य उद्योगों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए थे ताकि इस तरह की घटना दोबारा न हो. इसके साथ ही कोर्ट ने 3 फरवरी को अगली सुनवाई में नदी के पानी की स्वच्छता रिपोर्ट के साथ एक नया हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया था, जिसे आज पेश किया गया। दरअसल, 20 जुलाई 2024 में खबरें सामने आई कि मुंगेली जिले के ग्राम मोहभट्टा-धूमा में स्थित मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ पर्यावरण और आस-पास के क्षेत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. वाइन फैक्ट्री औद्योगिक गतिविधियों से लगभग 20 हजार लोगों की पूरी आबादी प्रभावित हो रही है. जिसके बाद मामले पर न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस जनहित याचिका को पंजीकृत करने का निर्देश दिया था। संरक्षण मंडल
बता दें, मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि विभिन्न पर्यावरण अधिनियमों के तहत घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों को निस्तारित करने का प्रावधान है, लेकिन केवल उसके (अपशिष्ट पदार्थ के) उपचार के बाद ही. वाइन फैक्ट्री इस नियम का उल्लंघन कर रही है. इतना ही नहीं, जहरीले अपशिष्टों के कारण 350 एकड़ से अधिक धान की फसल प्रभावित हुई है. इन अपशिष्टों की दुर्गंध ने आसपास के लोगों का जीवन दूभर कर दिया है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, खुजली, आंखों में जलन, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो रही है. इस खबर से स्थानीय प्रशासन हरकत में आई और पुलिस ने मौके से पानी का सैंपल भी लिया था। इस जनहित याचिका की 23/10/2024 को सुनवाई के बाद पक्षों को न्यायालय ने निर्देशित किया और लम्बी जांच प्रक्रिया की गई. जिसमें महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत के साथ-साथ राज्य/प्रतिवादियों के लिए उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के वकील अमृतो दास, छत्तीसगढ़ के वकील अभिषेक ने अपना पक्ष रखा। न्यायालय की निगरानी में लगातार इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें 16 दिसंबर 2024 को कोर्ट में दिए हलफनामा में कहा गया था कि “इसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि फैक्ट्री से दूषित पानी कहां से बह रहा है, इसका पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन सुधारात्मक उपाय किए जाने और फैक्ट्रियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर के अधिकारियों द्वारा जांच में खजरी नाला, शिवनाथ नदी में नाला संगम बिंदु, शिवनाथ नदी और आर.ओ. दिनांक 21/11/2024 और 04/12/2024 को मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट के आउटलेट पानी में क्रमशः 1.5 मिलीग्राम/लीटर पानी पाया गया. दोनों ही सैंपलिंग तिथियों के दौरान, खजीरी नाले में पानी बह नहीं रहा था, बल्कि स्थिर था. मामले की सुनवाई में क्षेत्रीय कार्यालय और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने हाइकोर्ट के समक्ष ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए नियमित निगरानी रखे जाने का जवाब प्रस्तुत किया था। पर्यावरण संरक्षण बोर्ड