केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक जुलाई से डीए और डीआर की तीन किस्तों को बहाल करने की दी मंजूरी, सरकार के इस कदम से पेंशनधारियों को होगा फायदा

केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए महंगाई भत्ता (DA) बढ़ाने का फैसला किया है. महंगाई भत्ते की दर को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है. यह बढ़ोतरी डेढ़ साल बाद की गयी है और इससे केंद्र सरकार के करीब 1.14 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनधारियों को फायदा होगा

Update: 2021-07-15 06:10 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारियों के लिए महंगाई भत्ता (DA) बढ़ाने का फैसला किया है. महंगाई भत्ते की दर को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है. यह बढ़ोतरी डेढ़ साल बाद की गयी है और इससे केंद्र सरकार के करीब 1.14 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनधारियों को फायदा होगा. डीए और डीआर में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर 34,401 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

केंद्रीय कर्मचारियों की महीने की तनख्वाह कितनी बढ़ेगी
अभी केंद्रीय कर्मचारियों को 17 फीसदी महंगाई भत्ता मिल रहा है. अब ये भत्ता बढ़कर 28 फीसदी हो गया है. उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलेरी 20 हजार रुपये है तो अभी 17 फीसदी के हिसाब से 3400 रुपये प्रति महीना डीए मिल रहा है. अब ये डीए बढ़कर 5600 रुपये हो जाएगा. यानी कि महीने की सैलेरी में 2200 रुपये का इजाफा होगा. इसी तरह अगर बेसिक सैलेरी 50 हजार रुपये महीना है तो डीए 8500 रुपये से बढ़कर 14,000 रुपये हो जाएगा. यानी कि महीने में 5500 रुपये ज्यादा मिलेंगे. यह गणना 1 जुलाई से लागू होगी.
जुलाई 2021 से बढ़ा हुआ DA-DR मिलेगा
कोविड महामारी के मद्देनजर सरकार ने डीए और डीआर की तीन अतिरिक्त किस्तों को रोक लिया था. ये किस्तें एक जनवरी 2020, एक जुलाई, 2020 और एक जनवरी 2021 से बकाया थीं. इस बार बकाये का भुगतान नहीं किया जाएगा क्योंकि एक जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक की अवधि के लिए डीए/डीआर दर मूल वेतन/पेंशन पर 17 फीसदी की दर पर बनी रहेगी. डीए और डीआर की बढ़ी दर का जुलाई 2021 से भुगतान किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक जुलाई से डीए और डीआर की तीन किस्तों को बहाल करने की मंजूरी दे दी है. महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दोनों के कारण राजकोष पर वित्त वर्ष 2021-22 (जुलाई 2021 से फरवरी 2022 तक आठ महीने की अवधि के लिए) में 22,934.56 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और प्रति वर्ष 34,401.84 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.


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