सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगते हुवे कहा - आंध्र प्रदेश डिस्काम ने किया जनहित के खिलाफ कार्य
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में आंध्र प्रदेश डिस्काम को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य की कंपनी ने जनहित के बजाय उसके खिलाफ काम किया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में आंध्र प्रदेश डिस्काम को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य की कंपनी ने जनहित के बजाय उसके खिलाफ काम किया है। अदालत ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश डिस्काम द्वारा ऊंची दर पर बिजली की खरीद करने के मामले में की।
जस्टिस एलएन राव व जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने आंध्र प्रदेश डिस्काम की तरफ से दाखिल याचिका पर कहा, 'हम याचिकाकर्ता डिस्काम के आचरण की कड़ी निंदा करते हैं, जो राज्य सरकार की सहायक है।' डिस्काम ने अपनी याचिका में अपीलेट ट्रिब्यूनल फार इलेक्टि्रसिटी (एपीटीईएल) के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने हिंदुजा नेशनल पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एचएनपीसीएल) को अपील करने की अनुमति प्रदान की थी।
एचएनपीसीएल ने लगाए कई गंभीर आरोप
शीर्ष अदालत ने कहा, 'कोर्ट के आदेश के उल्लंघन पर हम याचिकाकर्ता डिस्काम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकते हैं, लेकिन हम इससे बच रहे हैं।' कोर्ट ने कहा, 'हमें खुद से एक सवाल पूछना चाहिए कि क्या डिस्काम द्वारा एचएनपीसीएल से 3.82 रुपये प्रति यूनिट की दर के बजाय केएसके महानदी से 4.33 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीद का फैसला जनहित में था। हालांकि, एचएनपीसीएल ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन हम उनके भीतर नहीं जाना चाहते.. फिर भी बिना किसी उचित वजह के किया गया यह कृत्य लोगों के हित और सार्वजनिक संपत्ति को प्रभावित करता है।'
केंद्र ने अगस्त 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की
बता दें कि बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्काम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की है। इस व्यवस्था के तहत डिस्काम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है।