तो क्या भाजपा की विचारधारा को ही आगे बढ़ा रही हैं प्रज्ञा ठाकुर ?

Update: 2022-12-28 04:34 GMT

 निर्मल रानी

देश में इस समय अनेक फ़ायर ब्रांड नेता व समाज विभाजक धर्मगुरु पूरे देश में बेरोकटोक विषवमन करते फिर रहे हैं। प्रायः इनके मुंह से ऐसी बातें निकलती रहती हैं जोकि ग़ैर क़ानूनी,अपराधपूर्ण,अनैतिक,असामाजिक तथा पूर्णतयः शरारतपूर्ण होती हैं। परन्तु चूँकि ऐसे लोगों पर न केवल सत्ता का वरद हस्त होता है बल्कि वे स्वयं भी किसी न किसी भारी भरकम संवैधानिक पद से जुड़े होते हैं इसलिये इनके विरुद्ध कोई क़ानूनी कार्रवाई करना तो दूर इनसे कोई कुछ पूछने का भी साहस नहीं कर पाता। भारतीय जनता पार्टी की ऐसी ही एक सांसद हैं प्रज्ञा ठाकुर। हालांकि इनके भक्त व समर्थक इन्हें साध्वी ' के 'विशेषण ' के साथ सम्बोधित करते हैं परन्तु जिस तरह इनके व्यक्तित्व के साथ विवादों का गहरा नाता रहा है उसे देखकर या तो इन्हें 'साध्वी' जैसे पावन शब्द से उदघृत करना क़तई मुनासिब नहीं लगता। और यदि फिर भी उनके अनुयायी वास्तव में उन्हें 'साध्वी ' ही मानने पर आमादा हैं तो य सोचकर केवल अफ़सोस ही किया जा सकता है कि क्या साध्वियों की भाषा का यही मापदंड होता है जो प्रज्ञा जैसों में देखने व सुनने को मिलता है?

प्रज्ञा ठाकुर का नाम पहली बार चर्चा में उस समय आया था जबकि इनका मालेगांव ब्लास्ट में इनका नाम 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर किये गये विस्फोट के आरोपी के रूप में सामने आया था। इस में कुल 10 लोग मारे गए, जबकि 80 से अधिक लोग घायल हुए थे। 24 अक्टूबर, 2008 को इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह के अतिरिक्त असीमानंद व कर्नल पुरोहित को भी गिरफ्तार किया गया था। अभी भी वे ख़राब स्वास्थ के आधार पर ज़मानत पर बाहर हैं। इसके बाद 18 अप्रैल 2019 को प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया और उसी वर्ष मई में हुये लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रज्ञा को भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी भी बना दिया। इससे पहले वे व उनका परिवार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था। प्रज्ञा ठाकुर स्वयं संघ के अतरिक्त अपने छात्र जीवन में संघ की ही छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी हुई थीं। उनके सांसद बनने से पहले के भी कई वीडीओ ऐसे हैं जिसमें वे समुदाय विशेष के विरुद्ध नफ़रत व हिंसा भड़काने के लिये समुदाय विशेष की भीड़ को उकसा रही हैं।

जिस समय मुंबई में 2008 में 26 /11 का आतंकी हमला हुआ और पाकिस्तान स्थित लश्कर के दस प्रशिक्षित आतंकियों ने समुद्री रास्ते से आकर 175 लोगों की हत्या कर दी थी। उस समय तत्कालीन ए टी एस प्रमुख हेमंत करकरे सहित और भी कई अधिकारी व जवान इन आतंकियों से मुठभेड़ करते समय शहीद हो गये थे। उनकी अदम्य वीरता,साहस व बलिदान के लिये 2009 में शहीद करकरे को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। उस समय इसी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान अमर शहीद हेमंत करकरे का घोर अपमान करते हुये कहा था कि 'करकरे ने उन्हें प्रताड़ित किया था और उन्होंने उनके (करकरे के) सर्वनाश का श्राप दिया था इसलिए आतंकवादियों ने उन्हें 'मार' दिया। उनके इस अति निंदनीय बयान की जब चारों ओर घोर भर्त्सना हुई यहाँ तक कि अनेक सैन्य व पुलिस अधिकारियों द्वारा भी प्रज्ञा ठाकुर के बयान को देश की रक्षा के लिये शहीद की शहादत की शान में की गयी गुस्ताख़ी बताया गया तो उन्होंने अपना उक्त आपत्तिजनक बयान वापस लेने की 'औपचारिकता' भी पूरी कर दी। प्रज्ञा द्वारा शहीद करकरे को अपमानित करने का कारण केवल यह था कि करकरे ने ही प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव ब्लास्ट मामले में गिरफ़्तार किया था।

प्रज्ञा ठाकुर पर सत्ता का कितना बड़ा वरद हस्त है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नवंबर 2019 में प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त तक कह दिया था। संसद में किसी सांसद द्वारा राष्ट्र पिता के हत्यारे व देश के पहले आतंकवादी को देशभक्त बताये जाने को विपक्ष ने भारतीय संसद के इतिहास का एक दुखद दिन बताया था। उसी समय भाजपा के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कहा था कि "भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान निंदनीय है। भारतीय जनता पार्टी कभी भी इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करती है। नड्डा ने भी कहा था कि -'हम लोग इस तरह की विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं। हमने उन्हें रक्षा मामले की सलाहकार समिति से हटाने का फ़ैसला किया है। साथ ही संसद के मौजूदा सत्र में उन्हें संसदीय दल की बैठक में आने की अनुमति नहीं होगी।" नड्डा ने उन्हें उस समय यह हिदायत भी दी थी कि भविष्य में उन्हें भाजपा की विचारधारा को ही आगे बढ़ाना चाहिए।

अब गत दिनों बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक बार फिर अत्यंत विवादित व भड़काऊ बयान दिया है। कर्नाटक के शिव मोग्गा में 'हिंदू जागरण वेदिका' के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक समारोह के दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने हिंदू समुदाय को अपने घरों में चाक़ू तेज़ रखने की सलाह दी और कहा कि सभी को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि 'लव जिहाद करने वालों को लव जिहाद जैसा उत्तर दो, लड़कियों को सुरक्षित रखो,अपनी लड़कियों को संस्कारित करो,अपने घर में हथियार रखो कुछ नहीं तो सब्ज़ी काटने वाला चाक़ू ज़रा तेज़ रखो, स्पष्ट बोल रही हूं। हमारे घरों में भी सब्ज़ी काटने के लिए हथियार तेज़ होना चाहिए। उन्होंने चाक़ू से हमारे हर्षा को गोदा था,उन्होंने चाक़ू से हमारे वीरों को, हिंदू वीरों को, बजरंग दल, बीजेपी के कार्यकर्ताओं को, युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को गोदा है, काटा है तो हम भी सब्ज़ी काटने वाले चाकुओं को ज़ रा तेज़ कर लें। पता नहीं कब क्या ऐसा मौक़ा आये जब हम हमारी सब्ज़ी अच्छी से कटेगी तब जाकर दुश्मनों के मुंह और सर भी अच्छे से कटेंगे'।

अब सवाल यह पैदा होता है कि जिस सांसद ने गोडसे को राष्ट्रभक्त बता कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को असहज कर दिया हो,जिसे पार्टी अध्यक्ष नड्डा यह हिदायत दे चुके हों कि -'भविष्य में उन्हें भाजपा की विचारधारा को ही आगे बढ़ाना है' वही सांसद आज समुदाय विशेष के विरुद्ध देश के बहुसंख्य समाज को भड़का रही है,तो क्या प्रज्ञा ठाकुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या पार्टी अध्यक्ष किसी के भी नियंत्रण में नहीं हैं ? या फिर प्रज्ञा ठाकुर सुनियोजित तरीक़े से समय समय पर इस तरह के विवादित व विद्वेषपूर्ण बयान देकर भाजपा की विचारधारा को ही आगे बढ़ा रही हैं ?

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