Shimla. शिमला। हिमाचल में बर्फानी तेंदुओं की तादाद का आकलन नहीं हो पाया है। प्रदेश में बीते पांच सालों से तेंदुओं की गिनती नहीं हुई है और इस अवधि में उनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई या नुकसान इसकी जानकारी के लिए अगली गणना तक का इंतजार करना होगा। दरअसल, वन्य प्राणी विभाग ने 2019 में बर्फानी तेंदुओं की गिनती पूरी की थी। विभाग ने घने जंगलों में सीसीटीवी की मदद से तेंदुओंं की संख्या का पता लगाया। उस समय इनकी गिनती 51 से 73 के बीच आंकी गई थी, लेकिन बीते पांच साल में बर्फानी तेंदुओं की इस आबादी पर क्या असर रहा है इसके आंकड़े फिलहाल सार्वजनिक नहीं हो पाए हैं। प्रदेश में एक अन्य विलुप्त होती भूरे भालूओं की प्रजाति पर भी वन्य प्राणी विभाग अध्ययन कर रहा है, लेकिन अभी तक इस गिनती से उजागर हुए आंकड़े सार्वजनिक नहीं हो पाए हैं। वन्य प्राणी विभाग इस साल के अंत तक भूरे भालुओं की गिनती पूरी कर सकता है। भूरे भालुओं की गिनती सामने आने के बाद वन्य प्राणी विभाग उन्हें बचाने और संरक्षित करने की दिशा में उनकी संख्या और जगह के हिसाब से रणनीति तय कर सकता है।
गौरतलब है कि बीते आठ अक्तूबर को वन्य प्राणी सप्ताह को पूरा किया है। इस अवधि के दौरान वन्य प्राणी विभाग ने अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस दौरान वन्य प्राणियों की संख्या पर विभाग ने चिंता भी जताई है। ऐसे में आगामी दिनों में वन्य प्राणी विभाग कुछ और कदम उठा सकता है। उधर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्यप्राणी विभाग अमिताभ गौतम ने बताया कि जंगली जानवरों के संरक्षण को लेकर वन्य प्राणी विभाग समय-समय पर फैसले ले रहा है। बर्फानी तेंदुए की गिनती 2019 में हुई थी और उसके बाद गिनती नहीं हो पाई है। भविष्य में विभाग इसे दोहराने का काम करेगा। हिमाचल में एक लाख 36 हजार बंदर हैं। हालांकि यह गिनती भी पांच साल पहले 2019 में ही हुई थी। इसके बाद बंदरों की गिनती अभी तक दोबारा नहीं हो पाई है। दरअसल, वन्य प्राणी विभाग ने बंदरों की नसबंदी को लेकर चलाए जा रहे अभियान से ठीक पहले 2004 में आंकड़े जुटाए थे। इनमें बंदरों की संख्या तीन लाख 17 हजार थी, जबकि 15 साल बाद 2019 में हुई गिनती में बंदरों की संख्या कम होकर एक लाख 36 हजार रह गई है। नसबंदी का अभियान 2007 में शुरू किया था।