सिख प्रतिनिधिमंडल ने गृह राज्यमंत्री से मुलाकात कर सौंपा ज्ञापन, कहा- सिखों के लिए की जाएं दो सीटें आरक्षित

खासकर मट्टन साहिब गुरुद्वारे में ‘दर्शन’ के लिए.

Update: 2021-07-05 02:02 GMT

जम्मू-कश्मीर से आए सिख प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने की सराहना की. इसके साथ ही उन्होंने भारत के बाहर के सिखों और हिंदुओं को भारत में बसने का निमंत्रण दिया है.

ऑल सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (ASGMC) कश्मीर के प्रवक्ता परवेंद्र सिंह चोपड़ा ने कहा कि वह सीएए और धारा 370 के निरसन होने का स्वागत करते हैं और हमें खुशी होगी अगर दुनिया के किसी भी हिस्से से भारत आने वाले सिख और हिंदू समुदाय के सदस्य हमारे साथ रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह उन्हें उनकी आजीविका शुरू करने सहित सब कुछ सुनिश्चित करेंगे.
कश्मीर के सिखों को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित करने की मांग
इस दौरान चोपड़ा घाटी के सिख प्रतिनिधिमंडल ने अमित शाह को कश्मीरी सिखों की मांगों से अवगत कराया. प्रतिनिधिमंडल में अन्य लोगों में एएसजीएमसी अध्यक्ष बलदेव सिंह रैना, कश्मीर, बडगाम, पुलवामा, श्रीनगर, अनंतनाग, बारामूला आदि से विभिन्न गुरुद्वारा समितियों के सदस्य शामिल थे. प्रवक्ता ने घाटी में सिखों की घटती विकास दर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अमित शाह से कश्मीर घाटी के सिखों को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित करने का आग्रह किया था.
सिखों के लिए दो सीटें आरक्षित करने की मांग
उन्होंने बताया कि सिख समुदाय के 60 हजार पंजीकृत मतदाताओं को मिलाकर केवल 1.5 लाख सिख बचे हैं, जो 6 जिलों और 135 गांवों में फैले हुए हैं. उन्होंने कहा कि वह 135 गुरुद्वारों का प्रबंधन कर रहे हैं, जिनमें से कुछ ऐतिहासिक हैं. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन चल रहा था, इसलिए उन्होंने गृह मंत्री से सिखों के लिए दो सीटें आरक्षित करने का आग्रह किया और गृह मंत्री से परिसीमन आयोग के प्रमुख रंजना प्रकाश देसाई के साथ समुदाय के प्रतिनिधियों की बैठक की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया.
प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री से एलजी के लिए एक सिख सलाहकार की नियुक्ति के लिए भी कहा था जो सिखों की सभी चिंताओं को जानता हो. मुलाकात के बाद परवेंद्र सिंह चोपड़ा ने कहा कि गृह मंत्री ने उन्हें धैर्यपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि कश्मीर में रहने वाले सिखों की हर वास्तविक मांग को स्वीकार किया जाएगा और उस पर काम किया जाएगा. उन्होंने गुरुद्वारों को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने और अवंतीपोरा में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने की भी मांग की थी, खासकर मट्टन साहिब गुरुद्वारे में 'दर्शन' के लिए.


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