आजीवन कारावास की सजा लगभग थी तय, लेकिन बलात्कार के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई ये सजा, जानकर लोग हैरान

सरकारी योजनाओं का दिलाया जाए लाभ...

Update: 2021-03-02 04:09 GMT



नालंदा: बिहार के नालंदा जिले के किशोर न्याय परिषद के अध्यक्ष मानवेंद्र मिश्र ने फिर एक बार चौंकाने वाला फैसला सुनाया है. नाबालिग बच्ची का अपहरण और रेप के आरोपित को बरी करते हुए कोर्ट ने उसे लड़की के साथ रहने का आदेश दे दिया. शायद यह देश का पहला फैसला होगा कि जिसमें रेप के आरोपी को सजा की जगह रिहाई दी गई हो.

प्रेम प्रसंग से जुड़ा है मामला
दरअसल, पूरा मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा है. बीते 2019 में आरोपी ने 17 साल की लड़की को भगा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया और एक बच्ची पैदा हो गई. ऐसे में जज मानवेंद्र मिश्र ने अपने बोर्ड की सदस्य उषा कुमारी और धर्मेंद्र कुमार के साथ मिलकर यह फैसला लिया कि अगर लड़के को सजा हो जाती है तो लड़की और उसके 4 साल के मासूम की जिंदगी खराब हो जाती.
आजीवन कारावास की सजा थी तय
बता दें कि इस मामले में आरोपी की आजीवन कारावास की सजा तय मानी जा रही थी. लेकिन न्यायाधीश ने अपने फैसले से सबको चौंका दिया. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि हर अपराध के लिए सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा. यह सही है कि आरोपी ने नाबालिग लड़की को भगाकर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए जिससे उसे एक बच्ची पैदा हुई. लेकिन अब वह बच्ची 4 महीने की हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि बच्ची और उसकी मां को उसके परिजन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में किशोर को दंडित करने से तीन नाबालिगों का भविष्य अंधकार में हो सकता है. ऐसे में आरोपी पीड़िता के साथ ही रहे और उसकी जिम्मेदारी उठाए. यही नहीं जज ने अपने फैसले में संबंधित थाने को भी देखरेख करने का निर्देश दिया है.
सरकारी योजनाओं का दिलाया जाए लाभ
अपने फैसले में जज ने नूरसराय बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को कहा कि वे हर छह महीने पर 2 सालों तक आरोपी के सुरक्षा और संरक्षण के संदर्भ में रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे. साथ ही जिला बाल संरक्षण इकाई को निर्देश दिया गया है कि इस परिवार की देखभाल की योजना बनाकर स्वरोजगार अथवा स्किल डेवलपमेंट के लिए कोई कोर्स करवाना चाहे तो सरकार द्वारा चलाए जा रहे जन कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत उसे अवसर उपलब्ध कराने के लिए विधि प्रावधानों के अनुकूल सहयोग करें. किशोर न्याय परिषद का शायद देश का यह पहला फैसला होगा जिसमें इतने संगीन आरोपी को इस कांड में बरी कर दिया गया.
दरअसल, 2019 में आरोपी ने नूरसराय थाना इलाके की एक नाबालिग के साथ अंतरजातीय प्रेम विवाह कर लिया था, जिसके बाद लड़की के परिजनों ने लड़के के ऊपर शादी की नियत से अपहरण करने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इधर, लड़की ने कोर्ट में बयान दिया कि उसका अपहरण नहीं किया गया था बल्कि वह अपनी मर्जी से गई थी. चूंकि लड़की नाबालिग है, ऐसे में उसके इस बयान को कोर्ट नहीं मानती है.
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