रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बीते शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के कथित आरोपियों की तस्वीरों वाला पोस्टर जारी किए जाने के एक दिन बाद राज्य के गृह सचिव राजीव अरुण इक्का ने बुधवार शाम वारिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) से इस कथित 'गैरकानूनी' गतिविधि पर स्पष्टीकरण मांगा है. बता दें कि राज्य की राजधानी में विभिन्न स्थानों पर पोस्टर लगाने के बाद पुलिस ने ''तकनीकी त्रृटि'' के कारण इन्हें वापस ले लिया था. पुलिस ने कहा था कि वह त्रृटि को ठीक कर पोस्टर जारी करेगी.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक गृह, कारागार और आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव इक्का ने एसएसपी को लिखे पत्र में कहा, ''यह कानून सम्मत नहीं है और नौ मार्च 2020 को माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन है....''
उन्होंने कहा, माननीय न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य को निर्देश दिया था कि वह सड़क के किनारे व्यक्तियों की व्यक्तिगत जानकारी वाले पोस्टर न लगाएं. यह मामला और कुछ नहीं बल्कि लोगों की निजता में अनुचित हस्तक्षेप है. इसलिए, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.
गौरतलब है कि नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी के बाद रांची में विरोध प्रदर्शन हुए. ये विरोध प्रदर्शन बाद में हिंसा में बदल गया और गोली लगने से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि दो दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल करीब 30 लोगों के पोस्टर जारी कर उनके बारे में जानकारी मांगी थी.
राज्यपाल रमेश बैस ने राजभवन में डीजीपी नीरज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करने के एक दिन बाद यह सवाल उठाया कि आंदोलन के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए निवारक उपाय या कार्रवाई क्यों नहीं की गई. पुलिस ने बताया कि घटना के सिलसिले में अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
शहर के कुछ हिस्सों में धारा 144 लागू होने के बाद राज्य की राजधानी में अभी भी तनाव बना हुआ है. रांची में भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. इस बीच, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने बुधवार को हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और एनआईए जांच की मांग की.